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नामकरण संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है, जिसमें बच्चे को उसकी पहचान दी जाती है। यह बच्चे के जीवन का पहला अनुष्ठान होता है। आमतौर पर जन्म के 11वें दिन किया जाता है, लेकिन कुछ परिवारों में यह 21वें दिन या किसी शुभ तिथि पर भी किया जाता है। इस अनुष्ठान का उद्देश्य बच्चे को ऐसा नाम देना होता है, जो समाज में उसकी पहचान बने और जीवन में सफलता के द्वार खोले। नामकरण संस्कार इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें देवी-देवताओं से बच्चे को आशीर्वाद देने का आवाहन किया जाता है। चलिए आपको इस अनुष्ठान की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से लेख के जरिए बताते हैं।
बच्चे का नाम रखते समय राशि और नक्षत्र का ध्यान रखें। ध्यान रखें कि बच्चे के नाम का अर्थ सकारात्मक और शुभ हो। इसके साथ ही बच्चे का नाम छोटा, सरल और उच्चारण में आसान हो। धार्मिक और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार नाम का चयन करें। संस्कार को खुशी और शुभता के माहौल में संपन्न करें।
इस संस्कार का बच्चे के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस संस्कार के दौरान बच्चे को दिया गया नाम उसके व्यक्तित्व और भविष्य को प्रभावित करता है।इस संस्कार के माध्यम से शिशु को परिवार और समाज में एक विशिष्ट पहचान मिलती है। इसलिए, बच्चे का नाम बहुत सोच-समझ कर रखा जाता है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि नाम में विशेष ऊर्जा और शक्ति होती है, जो व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालती है।
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