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मंगल दोष को लेकर आम धारणा यही है कि इससे विवाह में बाधा आती है, लेकिन इसके साथ ही ये दोष जीवन के कई अन्य पहलुओं पर भी प्रभाव डालता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब मंगल ग्रह जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो उसे मंगल दोष कहा जाता है और व्यक्ति को मांगलिक माना जाता है। इस दोष के कारण वैवाहिक जीवन में अशांति, देरी, विवाद, करियर में समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां देखी जाती हैं।
मंगल दोष से मुक्ति के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख और प्रचलित उपाय है 'भात पूजन'। उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में विशेष रूप से यह पूजन विधि संपन्न कराई जाती है। मान्यता है कि यही स्थान मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।
भात पूजन में चावल का विशेष महत्व होता है। यह पूजन मांगलिक दोष को शांत करने के लिए किया जाता है। इसे विवाह से पूर्व कराना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। आइए जानते हैं इसकी पूजन विधि:
इस पूजा के साथ मंगल दोष से मुक्ति के लिए अन्य उपाय भी किए जाते हैं जैसे मंगल यंत्र की स्थापना, पीपल विवाह, कुंभ विवाह, सालिग्राम विवाह आदि। लेकिन भात पूजन को मंगल की उग्रता शांत करने के सबसे प्रभावी उपायों में माना गया है।
मान्यता के अनुसार एक बार उज्जैन में अंधकासुर नामक राक्षस ने तबाही मचा दी थी। उसे वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त से अनेक राक्षस पैदा होंगे। शिवजी ने उसका वध करने के लिए युद्ध किया और उनके पसीने से मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। चूंकि मंगल का स्वभाव अत्यंत उग्र था, इसलिए ऋषि-मुनियों ने उन्हें शांत करने के लिए दही और भात का लेपन किया। इसी परंपरा के अनुसार आज भी मंगल दोष से ग्रसित जातकों को भात पूजन की सलाह दी जाती है।
यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष है, तो उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में भात पूजन जरूर करें। इससे जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
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