Makar Sankranti Puja Vidhi: मकर संक्रांति है सूर्योपासना का पावन पर्व, जानें पूजा विधि, दान का महत्व
मकर संक्रांति हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की संक्रांति को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे सूर्य के उत्तरायण होने का शुभ संकेत माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन से देवताओं के दिन यानी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
मकर संक्रांति की पूजा विधि
- प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें और किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें
- साफ वस्त्र पहनें
- तांबे के लोटे में जल भरें
- उसमें काला तिल, गुड़ का टुकड़ा और गंगाजल डालें
- फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें
मंत्र जाप और आरती
- अर्घ्य देते समय इन मंत्रों में से किसी एक का जाप करें —
- ऊँ सूर्याय नमः
- ऊँ घृणि सूर्याय नमः
- ऊँ भास्कराय नमः
- इसके बाद सूर्य चालीसा या कवच का पाठ करें
- सूर्यदेव को तिल के लड्डू, फल, गुड़ और खिचड़ी का भोग लगाएं
- आरती कर पूजा विधि पूर्ण करें
मकर संक्रांति पर क्या करें और क्या न करें
- जरूर करें यह शुभ कार्य
- खिचड़ी बनाएं, स्वयं खाएं और जरूरतमंदों को दान करें
- गाय को हरा चारा खिलाएं, यह विशेष फलदायक माना जाता है
- गरीबों को तिल, गुड़, ऊनी वस्त्र और कंबल का दान करें
- पिता या पितातुल्य व्यक्तियों का सम्मान करें, अपमान से बचें
- किसी गौशाला में हरा चारा या गायों की सेवा के लिए धन दान करें
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से बचें
- मकर संक्रांति के दिन वाद-विवाद या अपशब्दों का प्रयोग न करें
- भोजन से पहले सूर्यदेव को भोग लगाना न भूलें
धार्मिक महत्व और मान्यताएं
- मकर संक्रांति को उत्तरायण की शुरुआत माना जाता है
- इस दिन खरमास समाप्त होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है
- माना जाता है कि सूर्य पूजा से अक्षय पुण्य और स्वास्थ्य लाभ मिलता है
- पितरों की तृप्ति, भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है
- गुजरात में इसे उत्तरायण कहा जाता है और पतंग उत्सव मनाया जाता है
- पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है
- दक्षिण भारत में इसे पोंगल कहा जाता है और चार दिन तक उत्सव चलता है
कब होती है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति की ग्रह स्थिति तब बनती है जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे सूर्य का मकर संक्रांति में गोचर कहा जाता है। यही समय मकर संक्रांति का प्रमुख क्षण माना जाता है। इस दौरान सूर्य की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर हो जाती है, जिसे उत्तरायण कहते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा, गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। यह पर्व हर साल 14 या 15 जनवरी को आता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य देना और तिल-गुड़ का दान करना शुभ माना जाता है।
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