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जन्मदिन पूजा विधि

जन्मदिन पूजा विधि

जन्मदिन पर केक नहीं, करें दीपदान और वैदिक पूजन, बढ़ेगी उम्र और मिलेगी सुख-शांति

हर इंसान के लिए उसका जन्मदिन बेहद खास होता है। आमतौर पर यह दिन केक काटने, मोमबत्तियां बुझाने और पार्टी करने में बीत जाता है। लेकिन हिंदू संस्कृति में यह दिन सिर्फ उत्सव नहीं, एक आध्यात्मिक अवसर होता है — जहां दीर्घायु, आरोग्यता और समृद्धि के लिए विशेष पूजन किया जाता है।

जैसे जीवन में जन्म, विवाह और मृत्यु – ये तीन सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होते हैं, वैसे ही जन्मदिवस आत्मनिरीक्षण और पुण्य कमाने का विशेष अवसर होता है। वैदिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आयु का एक वर्ष कम हो जाता है, इसलिए अगला वर्ष मंगलमय हो, इसके लिए ईश्वर की शरण में जाना आवश्यक होता है।

दीप बुझाएं नहीं, जलाएं

पश्चिमी परंपरा में मोमबत्तियां बुझाई जाती हैं, लेकिन वैदिक परंपरा कहती है कि जितनी उम्र हो चुकी है, उतने दीए भगवान के सामने जलाएं। आने वाले वर्ष के लिए एक बड़ा दीपक अलग से जलाएं। इससे जीवन में उजाला और नकारात्मकता से रक्षा होती है। छोटे बच्चों के लिए रंगीन चावलों से स्वस्तिक बनाकर उस पर दीप जलाना भी शुभ माना गया है।

वैदिक पद्धति से करें जन्मदिन पूजन

  • प्रातः स्नान के बाद तिल और गंगाजल से स्नान करें, इससे आयु में वृद्धि होती है।
  • नवीन वस्त्र पहनकर अपने इष्टदेव या कुलदेवता की पूजा करें।
  • गणेश पूजन करें ताकि पूरे वर्ष कार्यों में विघ्न न आएं। “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जप करें।
  • नवग्रहों की पूजा कर अपने ग्रहों को शांत करें।
  • सूर्य को अर्घ्य दें और गायत्री मंत्र का जाप करें।

क्या न करें इस दिन

  • बाल या नाखून न कटवाएं।
  • मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • झगड़ा, क्रोध और व्यर्थ वार्तालाप से बचें।
  • जुआ, हिंसा और लंबी यात्रा न करें।

क्या जरूर करें

  • बुजुर्गों और माता-पिता का आशीर्वाद लें।
  • ब्राह्मण या पंडित से पूजन कराएं और स्वस्तिवाचन करवाएं।
  • दान करें – वस्त्र, अन्न, किताबें या तिल से बनी चीजें।
  • मंदिर में दीपक लगाएं, अनाथालय या वृद्धाश्रम में सेवा करें।

विशेष उपाय

  • षष्ठी देवी की पूजा करने से शुभ भाग्य प्राप्त होता है।
  • अगर आपकी जन्मकुंडली में कोई अरिष्ट ग्रह चल रहा है तो उसके लिए विशेष पूजन या जप करें।
  • राम नाम पुस्तिका वितरित करें — उम्र × 11 की संख्या में लोगों को दें, यह आयु वृद्धि का सरल उपाय है।

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ज्येष्ठ माह में इन देवी-देवता की पूजा करें

ज्येष्ठ माह हिंदू पंचांग का तीसरा महीना होता है, जिसे आम भाषा में ‘जेठ महीना’ कहा जाता है। यह महीना बहुत खास होता है क्योंकि इसमें न केवल भीषण गर्मी पड़ती है बल्कि कई धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के पर्व भी आते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ का महीना 13 मई 2025 से शुरू होकर 11 जून 2025 तक रहेगा।

ज्येष्ठ माह के उपाय

ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना होता है, जिसे जेठ भी कहा जाता है। इस माह की शुरुआत हर साल मई में होती है, और इस साल यह 13 मई 2025 से शुरू हो रहा है। इस समय सूर्य अपनी पूरी ताकत के साथ चमकता है, जिससे गर्मी अपने चरम पर होती है।

ज्येष्ठ माह में क्या करें, क्या नहीं

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास साल का तीसरा महीना होता है और इस बार यह महीना 13 मई 2025 से शुरू होकर 11 जून 2025 तक रहेगा। यह महीना भगवान सूर्य को समर्पित माना जाता है और इसे पुण्य प्राप्ति का समय माना जाता है। इस मास में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है।

ज्येष्ठ महीने की कथा और महत्व

ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का तीसरा महीना होता है। यह महीना विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें कई प्रमुख व्रत, त्योहार और पूजा-अर्चना की जाती है।

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