Logo

जनेऊ/उपनयन संस्कार पूजा विधि

जनेऊ/उपनयन संस्कार पूजा विधि

Janeu Sanskar Puja Vidhi:  जीवन के नए अध्याय का प्रतीक माना जाता है जनेऊ संस्कार, जानें पूजा विधि


जनेऊ संस्कार को उपनयन संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है। यह संस्कार बालक के जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने का प्रतीक है। विशेष रूप से उपनयन संस्कार ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जातियों के लड़कों के लिए किया जाता है। इस संस्कार में बालक को जनेऊ (पवित्र धागा) धारण कराया जाता है। जनेऊ संस्कार बालक को ब्रह्मचर्य का पालन करने और वेदों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित करता है।इसे  धारण करने के बाद उसे वेदाध्ययन और धार्मिक कर्मकांडों में भाग लेने की अनुमति मिलती है। साथ ही यह संस्कार परिवार और समाज में भी सम्मान का प्रतीक माना जाता है। चलिए आपको इस संस्कार की पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताते हैं।


जनेऊ  संस्कार की प्रक्रिया 


  1. जनेऊ संस्कार से पहले बालक का मुंडन किया जाता है, जिससे वह पवित्र और शुद्ध हो सके।इसके बाद उसे स्नान कराया जाता है और गंगाजल छिड़ककर उसकी आत्मशुद्धि की जाती है।
  2. व्यक्ति के पूजा पर बैठने के साथ ही भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है ताकि सभी विध्न दूर हों।
  3. इसके बाद आती है जनेऊ पहनने की बारी। पंडित मंत्रोच्चार के साथ बालक को तीन धागों वाला जनेऊ पहनाते हैं, जो तीन ऋण कहे जाने वाले ऋषि ऋण, पितृ ऋण और देव ऋण का प्रतीक होता है।
  4. इसके बाद पंडित बालक को गायत्री मंत्र का उपदेश देते हैं। जो उसे जीवन भर जपना होता है। 
  5. फिर  पवित्र अग्नि में आहुति दी जाती है, जिससे वातावरण और बालक की आत्मा शुद्ध होती है। अंत में परिवार के सभी सदस्य और गुरुजन बालक को शुभ आशीर्वाद देते हैं।


जनेऊ संस्कार के लाभ 


जनेऊ धारण करने से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं, क्योंकि यह शरीर के प्रमुख तंत्रिका बिंदुओं को सक्रिय करता है। शारीरीक के साथ जनेऊ धारण करने से व्यक्ति का मानसिक और आत्मिक विकास होता है। यह ब्रह्मचर्य, अनुशासन और संयम के महत्व को सिखाता है और व्यक्ति को समाज और परिवार में सम्मान दिलाता है।


जनेऊ पहनने का सही तरीका 


जनेऊ हमेशा बाएं कंधे पर धारण किया जाता है और दाईं ओर लटकता है।इसे स्नान के समय सिर पर रखना चाहिए और शौच के समय दाएं कान पर लपेटना चाहिए।साथ ही जनेऊ को समय-समय पर बदलना चाहिए, ताकि उसकी पवित्रता बनाए रखी जा सके।


जनेऊ संस्कार का महत्व


उपनयन  संस्कार बालक को संयम, अनुशासन और आध्यात्मिक ज्ञान के महत्व को समझाने के लिए किया जाता है।  इसका उद्देश्य बालक को अनुशासित, जिम्मेदार और धर्मपरायण बनाना होता है। ऐसा माना जाता है कि यह संस्कार बालक को आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर ले जाता है। जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को वेद, शास्त्र और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने की अनुमति मिलती है। 


........................................................................................................
शिवरात्रि का त्यौहार है (Shivratri Ka Tyohar Hai)

शिवरात्रि का त्यौहार है,
शिव शंकर का वार है,

शिवरात्रि की महिमा अपार (Shivratri Ki Mahima Apaar)

शिवरात्रि की महिमा अपार,
पूजा शिव की करो,

श्री डिग्गी वाले बाबा देव निराले, तेरी महिमा अपरम्पार है (Shree Diggi Wale Dev Nirale Teri Mahima Aprampar Hai)

श्री डिग्गी वाले बाबा देव निराले,
तेरी महिमा अपरम्पार है,

श्री गणपति महाराज, मंगल बरसाओ (Shree Ganpati Maharaj Mangal Barsao)

श्री गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ,

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang