हरियाली तीज की पूजा विधि

Hariyali Teej Puja Vidhi: हरियाली तीज है शिव पार्वती को समर्पित, महिलाएं इस तरह से कर सकती है इस दिन पूजा


श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली हरियाली तीज महिलाओं के लिए अत्यंत पावन और भावनात्मक पर्व होता है। यह दिन विशेष रूप से सुहागिनों के लिए समर्पित होता है, जो पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। वहीं अविवाहित कन्याएं भी इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव जैसे आदर्श वर की कामना करती हैं।
इस दिन महिलाएं पारंपरिक हरे वस्त्र पहनती हैं, 16 श्रृंगार करती हैं और झूले झूलती हैं। अगर आप इस साल पहली बार हरियाली तीज का व्रत करने जा रही हैं, तो पूजा की विधि, सामग्री और नियमों को जानना आपके लिए जरूरी है।

पूजा की विधि और समय

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। सुहागिन महिलाएं हरे रंग की साड़ी पहनें और संपूर्ण 16 श्रृंगार करें। पूजा के लिए एक साफ चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित करें। सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें, फिर शिव-पार्वती की। हरियाली तीज की कथा सुनें और अंत में आरती कर पूजा संपन्न करें।
महिलाएं इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करती हैं और रात भर जागरण भी करती हैं। पूजा के बाद पति और घर के बड़ों का आशीर्वाद लेना शुभ माना जाता है।

पूजन सामग्री क्या-क्या रखें?

हरियाली तीज की पूजा के लिए नीचे दी गई सामग्री का विशेष महत्व होता है:
  • शिवजी के लिए: भस्म, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, कच्चा सूत, जनेऊ, सफेद फूल, श्रीफल, गंगाजल, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, चीनी), कपूर, अबीर-गुलाल, चंदन आदि।
  • माता पार्वती के लिए: हरी साड़ी, चुनरी, सिंदूर, कुमकुम, बिंदी, चूड़ियां, बिछुआ, महावर, कंघी, नथ, नेल पॉलिश, इत्र और 16 श्रृंगार की अन्य सामग्री।
  • अन्य सामग्री: केले के पत्ते, पीला कपड़ा, मिट्टी, कलश, जटा वाला नारियल, तुलसी, आंकड़े के पत्ते, धूप-दीप, फल-फूल और मिठाई।

मायके से आई साड़ी और श्रृंगार का महत्व

परंपरा के अनुसार, सुहागिन महिलाएं इस दिन मायके से आए वस्त्र और श्रृंगार का उपयोग करती हैं। इससे भावनात्मक जुड़ाव भी बना रहता है और पूजा का पुण्य भी बढ़ता है।

हरियाली तीज की खास बातें

  • यह पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। महिलाएं इस दिन समूह में मिलकर झूले झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और एक-दूसरे को उपहार देती हैं।
  • यह तीज शिव और पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक मानी जाती है। यह मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया था।

हरियाली तीज का शुभ मंत्र 

पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है:
 "शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।"
 "ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्महादेवो महेश्वरः।"

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जयकारा, मेरे केदारेश्वराय जय कारा (JaiKara Mere Kedareshwaray Jai Kara)

संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्,
सदावसन्तं हृदयारविन्दे,

शिवोहम शिवोहम शिवोहम.. (Shivoham Shivoham Shivoham)

आत्मा ने परमात्मा को लिया
देख ध्यान की दृष्टि से ।

सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

रामजी की सेना चली (Ram Ji Ki Sena Chali)

हर हर महादेव, हर हर महादेव,
जय भवानी, जय भवानी,

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