गुरु दक्षिणा पूजा विधि

Guru Dakshina Puja Vidhi: गुरु दक्षिणा पूजा करने से मिलता है गुरु का आशीर्वाद, जानें पूजा विधि और लाभ


गुरु दक्षिणा की परंपरा हिंदू संस्कृति में प्राचीन काल से चली आ रही है। किसी भी व्यक्ति की सफलता में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए, इस पूजा के जरिए हम अपने गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करते हैं।


गुरु दक्षिणा का अर्थ ही गुरु को उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए दी जाने वाली भेंट से है। यह भेंट शिष्य की श्रद्धा, समर्पण और गुरु के प्रति आज्ञाकारिता का प्रतीक होती है। गुरु दक्षिणा केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें शिष्य का प्रेम, सम्मान और सेवा भाव भी शामिल होता है।


गुरु पूर्णिमा के दिन इस पूजा का विशेष महत्व होता है, लेकिन इसे वर्ष के किसी भी शुभ दिन पर किया जा सकता है। चलिए, आपको गुरु दक्षिणा पूजा की विधि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताते हैं।



गुरु दक्षिणा पूजा का महत्व


गुरु हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। वे हमारे जीवन को एक नई दिशा देते हैं और हमें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करते हैं। इसलिए, हम गुरु दक्षिणा पूजा के माध्यम से अपने गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


इस परंपरा का उद्देश्य यह संदेश देना भी है कि ज्ञान और शिक्षा अमूल्य हैं। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। पौराणिक कथाओं में, एकलव्य ने अपने गुरु द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा के रूप में अपना अंगूठा समर्पित किया था। यह घटना एकलव्य की अपने गुरु के प्रति समर्पण और श्रद्धा की भावना को दर्शाती है।



गुरु दक्षिणा पूजा विधि


  1. स्नान एवं शुद्धिकरण: पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।
  2. गुरु की स्थापना: गुरु के चित्र या मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  3. पूजन सामग्री अर्पित करें: गुरु को पुष्प, माला, चंदन, रोली आदि अर्पित करें।
  4. मंत्रोच्चार करें:

          गुरु वंदन मंत्र का जाप करें:

         "गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

          गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥"

इस मंत्र का उच्चारण कर गुरु को प्रणाम करें 

       5.गुरु को भेंट अर्पित करें: अपनी श्रद्धा के अनुसार गुरु को दक्षिणा दें।

       6.आरती करें: अंत में गुरु की आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।



गुरु दक्षिणा पूजा के लाभ


  • यह पूजा गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण भाव को विकसित करती है।
  • यह हमारी बुद्धि, ज्ञान और निर्णय क्षमता को बढ़ाती है।
  • गुरु के आशीर्वाद से जीवन में सफलता, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
  • गुरु का सम्मान करने से सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक शांति मिलती है।

........................................................................................................
त्रिपुर भैरवी जयंती पर कौन सा पाठ करें?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल त्रिपुर भैरवी जयंती 15 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह दिन मां काली को समर्पित है, जो शक्ति और सामर्थ्य की प्रतीक हैं। मां काली की पूजा शास्त्रों में बहुत ही फलदायी मानी गई है।

शिव उठत, शिव चलत, शिव शाम-भोर है। (Shiv Uthat Shiv Chalat Shiv Sham Bhor Hai)

शिव उठत, शिव चलत, शिव शाम-भोर है।
शिव बुद्धि, शिव चित्त, शिव मन विभोर है॥ ॐ ॐ ॐ...

शाबर मंत्र क्यों पढ़ने चाहिए?

शाबर मंत्र भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रतीक हैं, जो मनुष्य की समस्याओं को सहजता से हल करने के लिए बनाए गए। ये मंत्र संस्कृत के कठिन श्लोकों के विपरीत, क्षेत्रीय भाषाओं और बोली में रचे गए हैं, जिससे हर कोई इन्हें आसानी से पढ़ और उपयोग कर सकता है।

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना (Cham Cham Nache Dekho Veer Hanumana)

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।