गंधर्व पूजा कैसे करें

इस विधि से करें गंधर्व पूजन, रिद्धि-सिद्धि के साथ समृद्धि में हो सकती है वृद्धि



चित्ररथ को एक महान गंधर्व और देवताओं के प्रिय संगीतज्ञ के रूप में माना जाता है। वह स्वर्गलोक में देवताओं के महल में निवास करते थे। उनका संगीत और गायन दिव्य था। ऐसा कहा जाता है कि कहा जाता है कि चित्ररथ के संगीत और गान में इतनी शक्ति थी कि वे अपने गाने से भगवान शिव और अन्य देवताओं को प्रसन्न कर सकते थे। गंधर्व राजा चित्ररथ की पूजा विशेष रूप से संगीत, कला, और सौंदर्य में वृद्धि के लिए विशेष रूप से की जाती है।


चित्ररथ की पूजा में संगीत और गायन का विशेष स्थान होता है। चित्ररथ की पूजा में विशेष रूप से उनकी स्तुति की जाती है। आपको बता दें, चित्ररथ की पूजा में ध्यान और साधना का भी स्थान है। संगीत, कला और ध्यान का एक साथ अभ्यास करने से मन को शांति और संतुलन मिलता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि गंधर्व राजा चित्ररथ की पूजा कैसे करें? 


गंधर्व पूजन के लिए सामग्री क्या है? 


  • फूल
  • धूप
  • दीपक
  • फल
  • मिठाई
  • चमेली की माला और तुलसी माला
  • संगीत वाद्ययंत्र
  • कपूर
  • नैवेद्य 
  • चंदन 



गंधर्व पूजा कैसे करें?  


  • पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहां एक सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर पूजा की सामग्री रखें।
  • गंधर्व देवता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
  • उसके बाद कला से संबंधित वस्तुओं को पूजा स्थल पर रखें।
  • पूजा में फूल, फल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करें।
  • पूजा स्थान पर जल से भरे कलश को स्थापित करें।
  • सात अंजुली जल लेकर गंधर्व देवता को अर्पित करें और मन ही मन गंधर्व मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • गंधर्व मंत्र: "ॐ क्लीं विश्वावसु गंधर्व कन्यानामधिपति। ॐ विश्वावसुर्नामगं धर्वो कन्यानामधिपतिः। स्वरूपां सालंकृतां कन्या देहि मे नमस्तस्मै॥ विश्वावस्वे स्वाहा॥"
  • पूजा करने के बाद गंधर्व देवता की आरती करें। 



गंधर्व पूजा किस दिन करनी चाहिए? 


गंधर्व पूजा विशेष रूप से रविवार के दिन करना शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से सिद्धि प्राप्ति हो सकती है। 



गंधर्व पूजा करन से मिलते हैं ये लाभ 


गंधर्व देवता कला, संगीत, नृत्य और शिल्प के देवता माने जाते हैं। यदि आप किसी कला के क्षेत्र में प्रगति चाहते हैं, तो गंधर्व पूजा करने से आपको प्रेरणा और सफलता मिल सकती है। गंधर्व देवता वाणी के देवता होते हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति की वाणी में मिठास आती है। गंधर्व पूजा से मानसिक तनाव और अशांति को दूर करने में मदद करती है।  गंधर्व पूजा से रचनात्मकता और कल्पना शक्ति में वृद्धि होती है। गंधर्व पूजा से सुख, समृद्धि और भाग्य उदय हो सकता है। 



गंधर्व स्तोत्र का करें जाप


भगवन् देव-देवेश, शंकर परमेश्वर ! कथ्यतां मे परं स्तोत्रं, कवचं कामिनां प्रियम् ।।

जप-मात्रेण यद्वश्यं, कामिनी-कुल-भृत्यवत् । कन्यादि-वश्यमाप्नोति, विवाहाभीष्ट-सिद्धिदम् ।।

भग-दुःखैर्न बाध्येत, सर्वैश्वर्यमवाप्नुयात् ।।

अधुना श्रुणु देवशि ! कवचं सर्व-सिद्धिदं । विश्वावसुश्च गन्धर्वो, भक्तानां भग-भाग्यदः ।।

कवचं तस्य परमं, कन्यार्थिणां विवाहदं । जपेद् वश्यं जगत् सर्वं, स्त्री-वश्यदं क्षणात् ।।

भग-दुःखं न तं याति, भोगे रोग-भयं नहि । लिंगोत्कृष्ट-बल-प्राप्तिर्वीर्य-वृद्धि-करं परम् ।।

महदैश्वर्यमवाप्नोति, भग-भाग्यादि-सम्पदाम् । नूतन-सुभगं भुक्तवा, विश्वावसु-प्रसादतः ।।

ॐ क्लीं ऐं क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः

ॐ क्लीं श्रीं गन्धर्व-राजाय क्लीं तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा

ॐ क्लीं कन्या-दान-रतोद्यमाय क्लीं मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट्

ॐ क्लीं धृत-कह्लार-मालाय क्लीं अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुम्

ॐ क्लीं भक्तानां भग-भाग्यादि-वर-प्रदानाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्

ॐ क्लीं सौः हंसः ब्लूं ग्लौं क्लीं करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्



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