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सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं। यज्ञों में अग्नि में आहुतियां देकर देवताओं को प्रसन्न किया जाता है। इतना ही नहीं, अग्निदेव को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। अग्नि की ज्वाला से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आपको बता दें, सृष्टि की शुरुआत में अग्नि देवता ही प्रकट हुए थे और देव-दानव युद्ध में भी अग्नि देवता ने ही देवताओं का साथ दिया था।
पुराणों में भी अग्नि देवता का जिक्र किया गया है। अग्नि देवता को धन और समृद्धि का देवता भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
अब ऐसे में अगर आप अग्निदेव की पूजा कर रहे हैं, तो उनकी पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है और अग्नि देव की पूजा कब करनी चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी द्वारा बताए गए जानकारी साझा कर रहे हैं। इसलिए आप इस लेख को विस्तार से पढ़ें।
अग्नि देव की पूजा करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। इनकी पूजा विधिवत रूप करने से शुभ परिणाम भी मिलते हैं।
सोमवार और शुक्रवार को अग्नि देव की पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप किसी भी पंचांग या पंडित से पूछकर शुभ मुहूर्त निकलवा सकते हैं और उस मुहूर्त में अग्निदेव की पूजा कर सकते हैं।
अग्निदेव की पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। अग्नि देव की पूजा करने से समृद्धि मिलती है। अग्नि देव की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो सकती है। अग्नि देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-समृद्धि के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन में बरकत भी आती है। इसके अलावा अग्निदेव को साक्षी मानकर अगर कोई भी कार्य सिद्ध करना चाहते हैं, तो इससे उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। अग्निदेव की पूजा करने के साथ-साथ मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। अग्नि देव की पूजा करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है।
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