Panchamritabhishek Puja

Panchamritabhishek Puja

ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश (Omkareshwar Mahadev Temple, Omkareshwar, Madhya Pradesh)

19 Aug Monday

Panchamrit Abhishek is a deeply devotional ritual where devotees offer a sacred mixture of water, milk, curd, honey, and ghee (Panchamrit) to Lord Shiva.

This method of worship is considered highly auspicious and is extensively described in Vedic scriptures as a potent way to please the Lord. It is believed that Lord Shiva graciously accepts this offering and bestows His divine blessings upon His devotees.

Relief from Adversities

  • It gives relief from any long-lasting disease as lord is also named as “Mritunjay”.
  • Relief from the problems created by any planet in the horoscope.

Blessings of Good Health

  • Lord shiva blesses his devotees with good health, wealth and happiness to their devotees.
  • Protection from your enemies with a divine intervention.

Puja Offerings

On shraavan Monday our Panditji will offer panchamrit elements (one by one) on shivaling with chanting most powerful vedic mantras/prayers of lord shiva and after shivling snan flowers, belpatra, dhatura etc. offered to Shivling.

Puja Day

Panditji will chant your name & gotra (shared by you) before Puja.

Puja Video

A video of the Panchamrit-abhishek will be shared within two days with devotee in which their name & gotra will be chanted.

ॐकारेश्वर महादेव मंदिर का महत्व


नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की चरम आस्था का केंद्र है । ओम्कारेश्वर का यह शिव मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है और यहां पर मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती है नर्मदा के उत्तरी तट पर ओंकार पर्वत पर जो कि एक द्वीप के रूप में ओमकारेश्वर अत्यंत ही पवित्र व सिद्ध स्थान है । 


धार्मिक मान्यता है कि ओंकारेश्वर देश का एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है। जहां, तीनों प्रहर में आरती की जाती है। तीनों समय में देवों के देव महादेव उपस्थित रहते हैं। आरती के पश्चात महादेव और माता पार्वती चौपड़ खेलते हैं। इसके लिए मंदिर में संध्या आरती के बाद चौपड़ सजाई जाती है। दैविक काल से ये परंपरा चली आ रही है।


रोजाना मंदिर के पुजारी संध्या आरती के बाद चौपड़ सजाते हैं। इसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। एक बार कपाट बंद होने के बाद किसी को मंदिर में आने जाने की अनुमति नहीं होती है। अगले दिन प्रातः काल में मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। उस समय चौपड़ पर रखी गोटे बिखरे मिलते हैं। मानो किसी ने चौपड़ खेला है।


इस बारे में मंदिर के पुजारियों का कहना है कि रोजाना माता पार्वती संग शिवजी चौपड़ खेलने आते हैं। दोनों चौपड़ खेलते हैं। इसके बाद मंदिर के शयन कक्ष में विश्राम भी करते हैं। वहीं, संध्या काल में देवों के देव महादेव तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद ओंकारेश्वर आते हैं।


ॐकारेश्वर महादेव मंदिर की कथा:


इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे भी एक कथा है। एक बार नारायण भक्त ऋषि नारद मुनि गिरिराज विंध्य पर्वत पर घूमते-घूमते पहुंच गए। वहां उनका स्वागत बड़े ही आदर-सम्मान के साथ हुआ। विन्ध्याचल ने कहा कि वो सर्वगुण सम्पन्न हैं। साथ ही कहा कि उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं है। उनके पास हर प्रकार की सम्पदा है। उनमें अंहकार भाव साफ नजर आ रहा था। इसी भाव में विन्ध्याचल नारद जी के समक्ष खड़े हो गए। श्री नारद जी को अहंकारनाशक भी कहा जाता है। ऐसे में उन्होंने विन्ध्याचल के अहंकार का नाश करने की बात सोची।


नारद जी ने विन्ध्याचल से कहा कि उसके पास सब कुछ है। लेकिन मेरू पर्वत के बारे में तुम्हें पता है जो तुमसे बहुत ऊंचा है। उस पर्वत के शिखर इतने ऊंचे हो गए हैं कि वो देवताओं के लोकों तक पहुंचे चुके हैं। ऐसे में उन्हें ऐसा लगता है कि वो इस शिखर तक कभी नहीं पहुंच पाएगा। विध्यांचल से यह सब कहकर नारद जी वहां से प्रस्थान कर गए। हुए हैं। मुझे लगता है कि तुम्हारे शिखर वहां तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे। इस प्रकार कहकर नारद जी वहां से चले गए। उनकी बात सुनकर विन्ध्याचल को बहुत दुख हुआ।


इस पछतावे में विध्यांचल ने फैसला किया कि वो शिव जी की आराधना करेगा। उसने मिट्टी के शिवलिंग बनाए और वो भगवान शिव की कठोर तपस्या करने लगा। उसने कई महीनों तक शिव की आराधना की। शिव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे दर्शन दिए। साथ ही आशीर्वाद भी दिया। शिव जी ने विध्यांचल को वरदान मांगने को कहा। उसने भगवान शिव से कहा कि अगर आप मेरी तपस्या से प्रसन्न हैं तो मुझे कार्य की सिद्धि करने वाली अभीष्ट बुद्धि प्रदान करें।


शिव ने विन्ध्यपर्वत के मांगे गए वरदान को पूरा किया। उसी समय देवतागण तथा कुछ ऋषिगण भी वहां पहुंच गए। इन सभी ने अनुरोध किया कि वहां स्थित ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में विभक्त हो जाए। इनके अनुरोध पर ही ज्योतिर्लिंग दो स्वरूपों में विभक्त हुआ जिसमें से एक प्रणव लिंग ओंकारेश्वर और दूसरा पार्थिव लिंग ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।


ॐकारेश्वर महादेव मंदिर में पूजा की विधि 


ॐकारेश्वर महादेव मंदिर में पूजा की विधि अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो श्रद्धालुओं को अपने ईश्वर के साथ संवाद करने और उनका समर्पण करने का अवसर प्रदान करती है। यहाँ पर मंदिर में पूजा की विधि कुछ इस प्रकार होती है:


शुद्धिकरण (पवित्रीकरण): पूजा की शुरुआत में भक्त अपने शरीर और मन को पवित्र करने के लिए स्नान करते हैं और शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं।


ध्यान और मन्त्रों का जप: भक्त अपने मन को ध्यान में लगाते हैं और भगवान शिव के मंत्रों का जप करते हैं, जैसे कि "ॐ नमः शिवाय"


पूजा की सामग्री: पूजा के लिए विभिन्न सामग्री जैसे कि फूल, धूप, दीप, अभिषेक के लिए जल, बेल पत्र, बिल्व पत्र, धान्य, फल, और मिठाई आदि का उपयोग किया जाता है।


अर्चना: भक्त विभिन्न पूजा उपकरणों का उपयोग करके मंदिर में भगवान की आराधना करते हैं, उन्हें पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, और प्रार्थनाओं के साथ समर्पित करते हैं।


आरती: अंत में, भक्त आरती गाते हैं और भगवान के सामने दीप जलाते हैं, जिससे मंदिर में शांति और शुभकामनाओं की भावना बनी रहती है।


इस रूप में, ॐकारेश्वर महादेव मंदिर में पूजा की विधि के अनुसार भक्तगण अपने आत्मिक उन्नति और ईश्वर के साथ अपने संवाद का आनंद लेते हैं।


ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश पहुँचने के लिए परिवहन सुविधाएं


ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश तक पहुँचने के लिए कई परिवहन सुविधाएँ हैं। यहाँ कुछ मुख्य सुविधाएँ हैं:


रेलवे: ओमकारेश्वर के पास भी रेलवे स्टेशन है, जिसका नाम "ॐकारेश्वर रोड" है। यह स्टेशन कई मुख्य शहरों से संबंधित है और यहाँ से मंदिर तक टैक्सी, ऑटोरिक्शा, या बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है।


बस सेवा: मध्यप्रदेश में बस सेवाएँ अच्छी हैं और ओमकारेश्वर तक बस से पहुँचा जा सकता है। बस स्टैंड से मंदिर तक आसानी से ऑटोरिक्शा या रिक्शा उपलब्ध होते हैं।


हवाई मार्ग: ओमकारेश्वर के पास बांधवगढ़ एयरपोर्ट है, जो कि लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यहाँ से आने वाले यात्री टैक्सी या कार का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।


व्यक्तिगत वाहन: अपने व्यक्तिगत वाहन का इस्तेमाल करके भी मंदिर पहुँचा जा सकता है। मंदिर के आसपास पार्किंग सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
इस तरह, ओमकारेश्वर मंदिर तक पहुँचने के लिए विभिन्न परिवहन सुविधाएँ हैं, जो यात्रीगण को आसानी से मंदिर तक पहुँचने में मदद करती हैं।


ॐकारेश्वर महादेव मंदिर, ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश के आस-पास कुछ अन्य होटल और गेस्ट हाउस की सूची निम्नलिखित है


ओमकारेश्वर, मध्यप्रदेश में मंदिर के आस-पास रुकने के लिए कई अच्छे होटल और गेस्ट हाउस हैं। यहाँ कुछ विकल्प हैं:


होटल ओमकार (Hotel Omkar)

स्थान: मंदिर के पास, ओमकारेश्वर

सुविधाएँ: आरामदायक कमरे, शुद्ध भोजन, पार्किंग, वाई-फाई


होटल शिवशक्ति (Hotel Shiv Shakti)

स्थान: मंदिर से कुछ ही दूरी पर, ओमकारेश्वर

सुविधाएँ: आरामदायक कमरे, आपकी आवश्यकताओं के अनुसार भोजन, वाई-फाई


ओमकार गेस्ट हाउस (Omkar Guest House)
स्थान: मंदिर के पास, ओमकारेश्वर
सुविधाएँ: साफ-सुथरे कमरे, अच्छा भोजन, कम कीमत


शिवमय गेस्ट हाउस (Shivmay Guest House)
स्थान: मंदिर के पास, ओमकारेश्वर
सुविधाएँ: सुखद रहने की सुविधा, व्यक्तिगत सेवा, सस्ता रहना


होटल शिवांगन (Hotel Shivangan)
स्थान: मंदिर के पास, ओमकारेश्वर
सुविधाएँ: आरामदायक कमरे, अच्छा भोजन, सुरक्षित और सुरक्षित माहौल


होटल शिवालय (Hotel Shivalay)
स्थान: मंदिर से कुछ ही दूरी पर, ओमकारेश्वर
सुविधाएँ: सुखद रहने की सुविधा, परिवारों के लिए अच्छा विकल्प, वाई-फाई


होटल शिवम (Hotel Shivam)
स्थान: मंदिर के निकट, ओमकारेश्वर
सुविधाएँ: सुखद कमरे, स्वादिष्ट भोजन, यात्रीगण की सेवा के लिए सक्षम कर्मचारी


होमस्टे लॉज (Homestay Lodge)
स्थान: मंदिर के पास, ओमकारेश्वर
सुविधाएँ: आरामदायक और स्वच्छ कमरे, पर्यटकों के लिए अच्छी सेवाएँ

इन होटलों और गेस्ट हाउसेस में आपको आरामदायक रहने के साथ-साथ स्थानीय भोजन का आनंद भी मिलेगा। ये सभी स्थान मंदिर के पास स्थित हैं और आपकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी सुविधाएँ प्रदान करते हैं।