Kedar Gauri Temple, Odisha (केदार गौरी मंदिर, भुवनेश्वर, उड़ीसा)

दर्शन समय

6:30 A.M - 8:00 P.M

Kedar Gouri Mandir Bhubaneswar: भुवनेश्वर का केदारगौरी मंदिर, जहां शिव-पार्वती के साथ प्रेमियों की कथा भी जीवित है


भुवनेश्वर के प्रसिद्ध मुक्तेश्वर मंदिर के पास स्थित केदारगौरी मंदिर ओडिशा के प्राचीन और पूजनीय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इससे जुड़ी लोककथाएं भी इसे खास बनाती हैं। माना जाता है कि यह शहर के आठ अष्टसंभु मंदिरों में से एक है।

मंदिर परिसर में दो मुख्य मंदिर हैं—केदार मंदिर, जिसमें भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है, और गौरी मंदिर, जिसमें देवी पार्वती की मूर्ति विराजमान है। इनके अलावा परिसर में भगवान हनुमान, भगवान गणेश और देवी दुर्गा के छोटे मंदिर भी हैं।


पवित्र कुंडों की मान्यता

मंदिर परिसर में दो तालाब हैं, खीरा कुंड और मरीचि कुंड। मान्यता है कि खीरा कुंड का पानी जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाता है, जबकि मरीचि कुंड में स्नान करने से महिलाएं बांझपन से मुक्त हो सकती हैं।


मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं

इस मंदिर को लेकर दो प्रमुख कथाएं प्रसिद्ध हैं। पहली कथा केदार और गौरी नामक प्रेमी युगल से जुड़ी है। समाज के विरोध के कारण दोनों यहां भागकर आए। केदार की बाघ द्वारा मृत्यु और गौरी की आत्महत्या के बाद, राजा ललातेंदु केशरी ने उनकी स्मृति में यह मंदिर बनवाया।

दूसरी कथा के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती शांति की तलाश में वाराणसी से यहां आए थे। यही कारण है कि यह स्थान शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है।

शीतल षष्ठी पर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

यहां सबसे प्रमुख उत्सव शीतल षष्ठी है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की याद में हर साल मई-जून में मनाया जाता है। इस दिन लिंगराज मंदिर से भगवान शिव की बारात निकलती है और केदारगौरी मंदिर में विवाह समारोह होता है।

इसके अलावा महाशिवरात्रि, गणेश चतुर्थी, नाग पंचमी और हनुमान जयंती भी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं।


वास्तुकला और सौंदर्य

मंदिर की वास्तुकला कलिंग शैली में बनी है। इसकी ऊंचाई लगभग 13.7 मीटर है। केदार मंदिर की बनावट मुक्तेश्वर मंदिर परिसर के सिद्धेश्वर मंदिर से मिलती-जुलती है। इसकी बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां उकेरी गई हैं।


मंदिर परिसर में क्या करें

यहां आकर भक्त पूजा-अर्चना करने के अलावा मंदिर की सुंदर स्थापत्य कला और शांत वातावरण का आनंद लेते हैं। परिसर में एक सुंदर बगीचा भी है, जहां बैठकर मन को सुकून मिलता है। यह मंदिर लिंगराज मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर, बिंदु सागर और अनंत वासुदेव मंदिर जैसे अन्य प्रमुख स्थलों के पास स्थित है।


मंदिर जाने का समय और शुल्क

मंदिर में प्रवेश सुबह 6:30 बजे से रात 8:00 बजे तक होता है। यहां प्रवेश निःशुल्क है और यह सप्ताह के सभी दिनों में खुला रहता है।


कैसे पहुंचे केदारगौरी मंदिर

यह मंदिर भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किमी और बिजु पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से करीब 3.7 किमी की दूरी पर स्थित है। टैक्सी या ऑटो रिक्शा से मंदिर तक पहुंचने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है। शहर के हर कोने से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।


यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • मंदिर के भीतर जूते-चप्पल ले जाना वर्जित है, इन्हें बाहर निर्धारित स्थान पर रखना होता है।
  • मंदिर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
  • परिसर में बैठने की व्यवस्था, शौचालय और पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
  • पूजा सामग्री बाहर मौजूद दुकानों से आसानी से मिल जाती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।