नवरात्रि को भारत ही नहीं दुनिया में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पावन पर्व पर मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि में गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मप्र से लेकर देशभर में माता के पंडाल सजाए जाते हैं। मैया के नौ अलग-अलग स्वरूपों के बारे में आप भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक में पढ़ सकते हैं। भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको इन्हीं नौ रूपों के अलग-अलग प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री माता का सबसे प्रसिद्ध मंदिर वाराणसी के मढ़िया घाट पर स्थित है।
ब्रह्मचारिणी माता नवरात्रि की दूसरी देवी हैं। वाराणसी स्थित मैया के इस मंदिर में सालभर भक्तों की भीड़ रहती है जो नवरात्रि में और बढ़ जाती है।
तीसरी नवरात्रि की देवी चन्द्रघंटा का वाराणसी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा अर्चना का विधान है। कानपुर के घाटमपुर में देवी कुष्मांडा का मंदिर देश का सबसे अनोखा मंदिर माना जाता है। यह मंदिर देश ही नहीं विदेशों में भी विख्यात है।
देवी स्कन्दमाता का ये मंदिर वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
छठे नवरात्र की देवी कात्यायनी का कर्नाटक के एवरसा में स्थित बाणेश्वर मंदिर सालभर भक्तों की भीड़ से भरा रहता है। दर्शनार्थियों की यह संख्या नवरात्रि में बहुत अधिक बढ़ जाती है।
माता कालरात्रि की पूजा अर्चना के लिए दूर-दूर से लोग वाराणसी के कालरात्रि देवी मंदिर आते हैं।
नवरात्रि के आखिरी दिन देवी महागौरी की पूजा अर्चना होती है। महागौरी का मंदिर वाराणसी के अलावा लुधियाना में भी स्थित है। इस मंदिर की यह खासियत है कि ये मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का मंदिर हैं।
गंगा दशहरा का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण की प्रतीक में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है।
गंगा दशहरा हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मां गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है।
गंगा दशहरा, इस वर्ष 5 जून को मनाया जाएगा। यह पर्व गंगा मैया के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए होता है।
गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से जुड़ा पर्व है, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।