सनातन धर्म में देवी आराधना का बड़ा महत्व है। देवी आराधना के लिए हमारे धर्म में कई विधान है। लेकिन इन सभी में नवरात्रि को सबसे अधिक प्रधानता दी गई है। नवरात्रि को माता रानी की पूजा पाठ और आराधना का सर्वश्रेष्ठ समय बताया गया है। नवरात्रि में माता की पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं और मनवांछित फल भी देती है। ज्यादातर लोगों को पता है कि नवरात्रि चैत्र मास और अश्विन मास में आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके अलावा भी दो बार और भी साल में नवरात्रि पर्व आता है? जी हां! कुल मिलाकर साल में चार बार नवरात्रि आती हैं।
देवी आराधना और पूजन के इन पवित्र दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करने का विधान है। चैत्र और अश्विन के अलावा दो अन्य नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। आज हम आपको भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक में जानेंगे कि एक साल में कितनी बार और कब-कब नवरात्रि का पर्व आता है।
धर्म ग्रंथों व शास्त्रों के अनुसार साल में 4 बार आने वाली नवरात्रि में से 2 नवरात्रि प्रकट नवरात्रि कहलाती है और 2 गुप्त नवरात्रि। प्रकट नवरात्रि में देवी के सात्विक रूप की पूजा अर्चना की जाती है जबकि गुप्त नवरात्रि में तामसिक रूप में देवी की पूजा करते हैं। सात्विक पूजा आम जन द्वारा की जाने वाली पूजा है। इसमें पूजन सामग्री और पूजा पद्धति वही है जिन्हें आप और हम सब जानते हैं। लेकिन तामसिक पूजा तंत्र विद्या और औघड़ और जोगियों द्वारा की जाती है। जिसमें पूजन सामग्री के रूप में शराब और मांस जैसी चीजें उपयोग होती हैं।
शीत ऋतु समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के आगमन के माह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिन्दू नववर्ष आरंभ होता है और इसी दिन से साल की प्रथम नवरात्रि का भी शुभारंभ होता है। 9 दिनों तक चलने वाला यह हर्षोल्लास से भरा पर्व रामनवमी पर समाप्त होता है। ये नवरात्रि प्रकट नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है। इसे बड़ी नवरात्रि भी कहते हैं। देवी की सात्विक रूप में पूजा के महीने चैत्र में दो ऋतुओं का मिलन और देवी की पूजा मानव जीवन को असीम ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है।
साल की दूसरी नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है और नौ दिन बाद नवमी तिथि पर समाप्त होती है। यह साल की पहली गुप्त नवरात्रि भी होती है। इसमें महाकाल और महाकाली की पूजा का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त सिद्धियों के लिए मांस-मदिरा आदि से देवी की पूजा करते हुए उसे प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इस दौरान तांत्रिक और तांत्रिक शक्तियां बहुत ज्यादा सक्रिय होती हैं।
देश ही नहीं दुनिया में सबसे अधिक लोकप्रिय और प्रसिद्ध है हिंदू कैलेंडर के हिसाब से अश्विन मास में आने वाली नवरात्रि। यह साल की तीसरी नवरात्रि होती है जो बड़े हर्षोल्लास से मनाई जाती है। अश्विन महिने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक गरबों और रास की धूम रहती है। इसी कारण यह प्रकट नवरात्रि चारों नवरात्रि में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इस नवरात्रि में देवी की पूजा सात्विक पूजा और गरबों के पंडालों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। देवी के हर मंदिर में इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस नवरात्रि में घर घर में कुलदेवी पूजन की परंपरा भी है।
साल की अंतिम यानी चौथी नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के रूप में माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक होती है। इस दौरान भी देवी की तामसिक पूजा मांस-मदिरा से की जाती है। इस नवरात्रि में भी तांत्रिक गुप्त साधना के जरिए शक्ति अर्जित करने का प्रयत्न करते हैं।
तो इस तरह अब आप जान गए होंगे की साल में चार नवरात्रि कब-कब आती हैं और वो कौन-कौन सी है। नवरात्रि विशेषांक के हमारे आने वाले लेखों में आप देवी आराधना के बारे में और भी विस्तार से जानेंगे साथ ही हमारा सदैव प्रयत्न है कि हम सनातन धर्म से जुड़ी हर कथा, तथ्य और रहस्यों को आप तक साक्ष्य सहित पहुंचाए।
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