भगवान कार्तिकेय को समर्पित स्कंद षष्ठी का पर्व हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं इस तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि नववर्ष 2025 की पहली स्कंद षष्ठी का पर्व 05 जनवरी, रविवार को मनाई जाएगी। सनातन धर्म में स्कंद षष्ठी के पर्व का खास महत्व देखने को मिलता है। ऐसी मान्यता है कि इन कामों को करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और रुके हुए काम पूरे होते हैं। चलिए जानते हैं इस वर्ष में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी की तिथि के बारे में...
सनातन धर्म में स्कंद षष्ठी पर्व का बहुत अधिक महत्व है। स्कंद षष्ठी मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र यानी भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना से जीवन की बड़ी-से-बड़ी बाधा दूर हो सकती है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और संतान प्राप्ति के लिए भी भक्त इस दिन व्रत रखते हैं।
ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात।।
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।।
ॐ षडाननाय नमः, ॐ स्कन्ददेवाय नमः, ॐ कुमाराय नमः
महाकुंभ का पहला अमृत स्नान पुष्य और पुनर्वसु नक्षत्र में आरंभ हो चुका है। प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी के पूजन के उपरांत नागा साधु शिव के स्वरूप में खुद को सजा चुके हैं।
13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में इस बार कई अनोखी चीजें देखने को मिल रही हैं। संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में देश-विदेश से हजारों संत पहुंचे हैं। बता दें कि इस बार के महाकुंभ में ऐसी कई चीजें लोगों को पहली बार देखने को मिली हैं।
महाकुंभ, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह एक ऐसा धार्मिक समागम है जिसके लिए करोड़ों लोग देश-विदेश से आते हैं।
महाकुंभ, संतों और साधुओं का सबसे बड़ा समागम, हमेशा से अनोखे लोगों का गवाह रहा है। इनमें से एक हैं, मौनी बाबा, जिनका जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। बुंदेलखंड के महोबा से आए मौनी बाबा का नाम आजकल हर जगह सुनाई दे रहा है।