Aaj Ka Panchang 25 June 2025: आज 25 जून 2025 को आषाढ़ माह का सातवां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तिथि अमावस्या है। आज बुधवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा मिथुन राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज बुधवार के दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है। इस दिन राहुकाल 12:24 पी एम से 02:09 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो गणेश जी को समर्पित होता है। इस दिन दर्श अमावस्या, अन्वाधान, आषाढ़ अमावस्या का भी योग है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
आषाढ़ कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि प्रारंभ - 06:59 पी एम से, 24 जून
आषाढ़ कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि समाप्त - 01:34 पी एम तक
हर मास की अमावस्या तिथि को "दर्श अमावस्या" कहा जाता है, जो पितरों की शांति और आत्मकल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से स्नान, ध्यान और पितरों के लिए तर्पण करना पुण्यदायी होता है। दर्श अमावस्या पर सूर्य को जल अर्पित कर आभार प्रकट करना और पुरखों के नाम से अन्न, वस्त्र, तिल एवं जल का दान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। उपाय स्वरूप इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर "ॐ नमः भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें और जरूरतमंदों को काले तिल या अन्न दान करें।
अन्वाधान व्रत दरअसल श्राद्ध कर्म के अनुक्रम में किया जाने वाला एक विशेष कर्म होता है, जो पितरों की संतुष्टि और वंश की उन्नति के लिए आवश्यक माना गया है। यह अमावस्या तिथि के अगले दिन यानी प्रतिपदा को किया जाता है, जब व्रती विशेष नियमों के साथ अग्निहोत्र, तर्पण और भोजन विधान करते हैं। यह पितरों की कृपा पाने का अत्यंत प्रभावशाली अवसर होता है। उपाय के रूप में इस दिन घर में सात प्रकार के अनाज से बने खिचड़ी या भोजन को ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को खिलाएं और पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करें।
आषाढ़ मास की अमावस्या को विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह वर्षा ऋतु के प्रारंभ का संकेत देती है और पितृ तर्पण, व्रत, साधना एवं दान के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, पीपल पूजन और श्राद्धकर्म करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। उपाय के रूप में इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करें, पीपल के वृक्ष पर कच्चा दूध अर्पित करें, तथा कौओं, गायों और कुत्तों को भोजन कराएं, जिससे पितृ दोष शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
प्रयागराज में 12 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े हैं। यह महान धार्मिक आयोजन, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक रहा है, विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम माना जाता है।
प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन शुरू हो चुका है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है, जहां देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर, प्रयागराज में 144 वर्षों बाद महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। इस दिव्य और ऐतिहासिक आयोजन में लाखों श्रद्धालु भाग लेने पहुंचे हैं। अगर आप किसी कारणवश प्रयागराज नहीं जा पाए हैं, तो निराश न हों।
महिला नागा साधुओं का अपना अलग संसार है, जो माई बाड़ा के नाम से जाना जाता है। ये साध्वीएं पुरुष नागा साधुओं की तरह ही ईश्वर को समर्पित जीवन जीती हैं, लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा एक अलग रंग में रंगी होती है।