Ravivar Vrat Katha: रविवार के व्रत में जरूर सुनें ये कथा, भगवान सूर्य देव आपकी हर परेशानी करेंगे दूर
Ravivar Vrat Katha: हिंदू धर्म में रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन भक्त सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं व्रत रखते हैं। सूर्य देव को 9 ग्रहों में राजा माना गया है और इनकी पूजा से जीवन में कई सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं। सूर्य देव की आराधना करने से न केवल जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है, बल्कि कुंडली के दोष भी दूर हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में हो तो उसे समाज में मान-सम्मान मिलता है और उसकी स्थिति भी मजबूत होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ रविवार व्रत की कथा पढ़ना भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं रविवार के व्रत कथा के बारे में।
रविवार व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक वृद्धा रहती थीं। वह वृद्धा हर रविवार को अपने घर के आंगन को गोबर से लीपकर भोजन तैयार करती और सूर्य देव को भोग अर्पित करती और फिर खुद भोजन करती थी। यह व्रत वह पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करती थी। ऐसे में सूर्यदेव की कृपा की वजह से उसके घर में कभी कोई कमी नहीं होती थी, उसके घर में हर प्रकार की सुख-समृद्धि और खुशहाली रहती थी। उसका घर धन-धान्य से भरा हुआ था और किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता था।
एक दिन, वृद्धा की पड़ोसन ने देखा कि वह हमेशा उसकी गाय का गोबर ले जाती है। यह देख पड़ोसन ने अपनी गाय को घर के अंदर बांध दिया ताकि वृद्धा को गोबर न मिल सके। ऐसे में गोबर न मिलने पर वृद्धा रविवार को गोबर से आंगन को लीप नहीं पाई और न ही भोजन बना पाई। इसलिए वह निराहार व्रत की और रात को भूखी सो गई।
भगवान का आशीर्वाद
रात को भगवान ने वृद्धा को स्वप्न में दर्शन दिए और उसकी भूख के बारे में पूछा। वृद्धा ने भगवान से कहा कि गोबर न मिलने के कारण वह भोजन नहीं बना पाई। भगवान ने कहा, 'तुमने सूर्य देव को भोग अर्पित करने और खुद भोजन करने की परंपरा अपनाई है, इससे मैं प्रसन्न हूं और तुम्हें वरदान देने के लिए तैयार हूं।' भगवान का यह आशीर्वाद पाकर वृद्धा की आंख खुली, तो उसने देखा कि उसके आंगन में एक सुंदर गाय और बछड़ा बंधे हुए हैं। वृद्धा अत्यंत खुश हुई और दोनों को चारा डालकर संतुष्ट हो गई।
पड़ोसन की चाल
अब जब पड़ोसन ने देखा कि वृद्धा के पास एक सुंदर गाय और बछड़ा हैं, तो उसका हृदय जल उठा। उसने सोने का गोबर देने वाली गाय के गोबर को चुपके से बदल दिया और अपनी गाय का गोबर रख दिया। रोजाना वह ऐसा ही करती रही, और वृद्धा को इसका कोई पता नहीं चला। लेकिन एक दिन भगवान ने सोचा कि यह चालाक पड़ोसन वृद्धा को ठग रही है, तो उन्होंने अपनी माया से एक बड़ी आंधी भेज दी। आंधी के डर से वृद्धा ने गाय को घर के अंदर बांध लिया और फिर गोबर मिलने पर वह अत्यंत हैरान हो गई। अब वह अपनी गाय को हर रोज घर के अंदर बांधने लगी।
राजा का हस्तक्षेप
पड़ोसन ने देखा कि वृद्धा का सोने का गोबर अब उसे नहीं मिल रहा, तो उसने राजा से शिकायत की और सारी बात बता दी। उसने राजा से कहा कि मेरे पड़ोस में एक वृद्धा के पास ऐसी गाय है जो रोजाना सोने का गोबर देती है। इसके बाद राजा ने अपने दूतों को आदेश दिया कि वृद्धा की गाय को लाकर महल में रखा जाए। अगले दिन वृद्धा सुबह के समय जब भगवान सूर्यदेव को भोग लगाकर भोजन ग्रहण करने ही जा रही थी तभी राजा के कर्मचारी गाय खोलकर ले गए। यह देख वृद्धा दुखी हो गई और भगवान से गाय वापस पाने की प्रार्थना करने लगी।
वहीं दूसरी और राजा गौ को देखकर प्रसन्न हुआ और अगले दिन जैसे ही वह उठा उसका महल गोबर से भरा हुआ था। यह देख राजा भयभीत हो गया। उसके बाद भगवान ने रात में उसे स्वप्न में कहा कि वृद्धा की गाय को लौटाने में ही तुम्हारी भलाई है। सुबह होते ही राजा ने वृद्धा को बुलाया, गाय और बछड़े को सम्मान पूर्वक लौटाया और पड़ोसन को उचित दंड दिया। राजा ने यह भी आदेश दिया कि सभी नागरिक रविवार का व्रत रखें ताकि उनकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकें।
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