नवीनतम लेख
मासिक शिवरात्रि का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना गया है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखकर और महादेव की पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।
मान्यता है कि व्रत के साथ शिवरात्रि कथा का पाठ करना पूजा को पूर्णता प्रदान करता है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की कथा सुनता और उनका ध्यान करता है, उसकी सभी इच्छाएं भोलेनाथ अवश्य पूर्ण करते हैं। यही कारण है कि मासिक शिवरात्रि पर व्रत कथा का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं इस शुभ दिन पर पढ़ी जाने वाली व्रत कथा और इसकी महिमा।
हिंदू पंचांग के अनुसार:
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, मासिक शिवरात्रि व्रत और पूजा 27 जनवरी को करना श्रेष्ठ रहेगा। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखकर शिवलिंग का अभिषेक करें और रात्रि जागरण करें, जिससे उन्हें विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होगी।
प्राचीन काल में चित्रभानु नाम का एक शिकारी अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए जानवरों का शिकार करता था। दुर्भाग्यवश, उस पर एक साहूकार का कर्ज था, जिसे वह चुकाने में असमर्थ था। क्रोधित साहूकार ने उसे शिव मंदिर में बंदी बना लिया।
संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी। शिकारी ने वहां शिव पूजा और धार्मिक कथाओं को ध्यानपूर्वक सुना। अगले दिन जब वह कैद से मुक्त हुआ, तो उसके मन में भगवान शिव के प्रति गहरी श्रद्धा उत्पन्न हो गई।
कैद से छूटने के बाद, शिकारी जंगल में शिकार के लिए निकला। दिनभर भूखा-प्यासा रहने के बाद, उसने रात जंगल में एक बेल वृक्ष पर बिताने का निश्चय किया। संयोगवश, उस वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था, लेकिन शिकारी इससे अनजान था।
रातभर जब उसने वृक्ष की टहनियां तोड़ीं, तो वे शिवलिंग पर गिरती रहीं। इस प्रकार, वह अनजाने में उपवास भी कर रहा था और शिवलिंग की पूजा भी।
रात्रि के पहले पहर में एक गर्भवती हिरणी तालाब पर पानी पीने आई। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाया, लेकिन हिरणी ने विनम्रता से कहा, "मैं गर्भवती हूं और शीघ्र ही बच्चे को जन्म दूंगी। कृपया मुझे जाने दें। मैं बच्चे को जन्म देकर स्वयं तुम्हारे पास लौट आऊंगी।"
शिकारी का हृदय पिघल गया, और उसने हिरणी को जाने दिया। बेल वृक्ष की और पत्तियां शिवलिंग पर गिरीं, और अनजाने में उसका प्रथम प्रहर की पूजा भी संपन्न हो गई।
शिकारी की अनजानी भक्ति और करुणा से भगवान शिव प्रसन्न हुए। उन्होंने शिकारी को दर्शन दिए और उसे कर्ज, कष्ट, और पापों से मुक्ति प्रदान की।
इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव को स्मरण करता है, तो भोलेनाथ उसे अपनी कृपा से धन्य करते हैं। मासिक शिवरात्रि पर व्रत और कथा सुनने से भक्त को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन की सभी समस्याओं को दूर कर सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।