कामदा एकादशी की कथा

Kamada Ekadashi Katha: भगवान विष्णु से जुड़ी है कामदा एकादशी की कथा, जानिए तिथि और व्रत का महत्व

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इसे फलदा एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस लेख में हम आपको कामदा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, कथा और व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से बताएंगे।

कामदा एकादशी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है। एकादशी तिथि 7 अप्रैल 2024 को शाम 5:30 बजे से प्रारंभ होगी और 8 अप्रैल 2024 को रात 8:05 बजे समाप्त होगी। चूंकि उदयातिथि की मान्यता होती है, इसलिए व्रत और पूजा 8 अप्रैल को ही की जाएगी। इस बार कामदा एकादशी पर रवि योग का विशेष संयोग भी बन रहा है, जिससे व्रत और पूजा करने वाले भक्तों को अधिक शुभ फल प्राप्त होंगे।

  • एकादशी व्रत तिथि: 8 अप्रैल 2025
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 अप्रैल 2025 को शाम 5:30 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 9 अप्रैल 2025 को रात 8:05 बजे
  • पारण का समय: 10 अप्रैल 2025 को सुबह 6:30 बजे से 8:50 बजे तक

कामदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की महिमा बताते हुए एक कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार, भोंगीपुर नामक नगर में पुंडरीक नाम का एक राजा शासन करता था। राजा विलासिता में लीन रहने वाला था। उसके दरबार में ललित नामक एक गंधर्व संगीतज्ञ था, जो अपनी पत्नी ललिता से अत्यधिक प्रेम करता था। एक दिन राजा के दरबार में संगीत सभा का आयोजन हुआ, जिसमें ललित अपनी प्रस्तुति दे रहा था। उसी समय उसकी पत्नी ललिता दरबार में आ गई। ललित का ध्यान संगीत से हटकर अपनी पत्नी की ओर चला गया, जिससे उसके सुर बिगड़ गए। राजा ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया।

ललित के राक्षस बनने के बाद वह मांस खाने लगा और जंगलों में भटकने लगा। उसकी पत्नी ललिता इस पीड़ा से बहुत दुखी हुई और अपने पति को वापस मनुष्य बनाने के लिए अनेक प्रयास किए। अंत में वह ऋषि श्रृंगी के आश्रम पहुंची और अपनी व्यथा सुनाई। ऋषि श्रृंगी ने उसे कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।ललिता ने विधिपूर्वक व्रत रखा और भगवान विष्णु की आराधना की। द्वादशी तिथि के दिन जब उसने व्रत का पारण किया, तो उसके पुण्य के प्रभाव से ललित का राक्षस योनि से उद्धार हो गया और उसे पुनः मनुष्य योनि प्राप्त हो गई। इसके बाद ललित और ललिता ने जीवनभर भगवान विष्णु की भक्ति की और अंत में मोक्ष को प्राप्त किया। इसी कारण से कामदा एकादशी को सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी कहा जाता है।

कामदा एकादशी व्रत का महत्व

कामदा एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। कामदा एकादशी व्रत के लाभ:

  • सभी प्रकार के कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  • व्रत रखने से दांपत्य जीवन में सुख और शांति आती है।
  • आर्थिक समृद्धि और पारिवारिक समस्याओं का समाधान होता है।
  • व्यक्ति को भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
  • अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पीले रंग के वस्त्र पहनकर और पीले फूलों से करने का विशेष महत्व होता है। भक्तों को व्रत के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप, एकादशी व्रत कथा का पाठ और भजन-कीर्तन करना चाहिए।


........................................................................................................
हे विनय विनायक विनती करा(Hey Vinay Vinayak Vinati Kara)

हे विनय विनायक विनती करा
म्हारे आंगन आप पधारो जी,

शनि प्रदोष व्रत उपाय

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और शनिदेव के आराधना के लिए समर्पित होता है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले इस व्रत में शिवलिंग की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

जो खेल गये प्राणो पे, श्री राम के लिए (Jo Khel Gaye Parano Pe Bhajan)

जो खेल गये प्राणो पे, श्री राम के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे (Uth Khada Ho Lakshman Bhayia Ji Na Lage)

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।