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6 AM - 12:30 PM & 5 PM - 8 PM
महाबलेश्वर मंदिर कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में स्थित है। चौथी शताब्दी में बना ये हिंदू मंदिर दक्षिण में काशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि शिवजी का जन्म गाय के कान से हुआ और इसी वजह से इसे गोकर्ण कहा जाता है। साथ ही कहा जाता है कि गंगावली और अघनाशिनी नदियों के संगम पर बसे गांव का आकार भी एक कान जैसा है। इस कारण भी ये मंदिर हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है।
गोकर्ण का महाबलेश्वर मंदिर यहां के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर 1500 साल पुराना है और कर्नाटक के सात मुक्ति स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग को आत्मलिंग के नाम से जाना जाता है। मंदिर में स्थित शिवलिंग के दर्शन 40 साल में एक बार होते है। महाबलेश्वर मंदिर में 6 फीट लंबा शिवलिंग है।
महाबलेश्वर मंदिर सफेद ग्रेनाइट के इस्तेमाल से द्रविड़ वास्तुकला में बनाया गया है। मंदिर का रिवाज है कि मंदिर में आने से पहले आपको कारवार बीच में डुबकी लगानी चाहिए, फिर मंदिर के सामने स्थित महा गणपति मंदिर में दर्शन करके ही महाबलेश्वर मंदिर के दर्शन करने चाहिए।
महाबलेश्वर को लेकर मान्यता है कि यहां का शिवलिंग भगवान शिव ने रावण से प्रसन्न होकर उसके साम्राज्य की रक्षा करने के लिए दिया था। रावण कैलाश पर्वत से लंका ले जा रहा था लेकिन भगवान गणेश और वरूण देवता ने चालाकी से इसकी स्थापना गोकर्ण में करवा दी। रावण ने शिवलिंग को यहां से निकालकर अपने साथ ले जाने का प्रयास किया लेकिन वो सफल नहीं हुआ। तब से ये शिवलिंग यहां स्थापित है और कहते हैं कि भगवान शिव का वास है।
कहा जाता है कि पाताल में तपस्या करते हुए भगवान रुद्र गौ रूप धारिणी पृथ्वी के कर्णरन्ध्र से यहां प्रकट हुए, इसी से इस क्षेत्र का नाम गोकर्ण पड़ा। महाबलेश्वर मंदिर के पास सिद्ध गणपति की मूर्ति है, जिसके मस्तक पर रावण द्वारा हमला करने का चिन्ह है। गणेश जी ने यहां शिवलिंग की स्थापना करवाई थी, इसलिए उनके नाम पर इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।
मंदिर की पवित्रता का सम्मान करने के लिए सभी लोग महाबलेश्वर मंदिर गोकर्ण में ड्रेस कोड का पालन करते हैं। पुरुषों को शर्ट पहनने की अनुमति नहीं है। तो वहीं महिलाएं पारंपरिक पोशाक में आनी चाहिए।
हवाई मार्ग - पणजी गोवा में डाबोलिम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा गोकर्ण का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। ये शहर से 150 किमी की दूरी पर है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - यहां के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन गोकर्ण है, जो शहर से 6 किमी दूर है। यहां से आप टैक्सी, ऑटो या बस की सुविधा ले सकते हैं।
सड़क मार्ग - मंदिर के लिए भक्त पणजी से बेंगलुरु और मैंगलोर से KSRTC की कोई भी बस लेकर गोकर्ण पहुंच सकते हैं।
मंदिर का समय- सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक, शाम को 5 बजे से रात के 8 बजे तक।
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