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अंजनाद्रि हिल्स कर्नाटक के हम्पी में स्थित एक प्रमुख पर्वत है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अंजनद्री पहाड़ी वह जगह है जहां माता अंजनी ने हनुमान जी ने जन्म दिया था। इसलिए, उन्हें अंजनेया के नाम से भी जाना जाता है। यह पहाड़ी भारत के कर्नाटक में हंपी के पास हनुमान हल्ली में स्थित है। अंजनद्री शेषाचल पर्वतमाला का हिस्सा है और महाकाव्य रामायण में वर्णित वानर साम्राज्य किष्किंधा से जुड़ा हुआ है।
अंजनद्री हिल्स के मंदिर में हनुमान जी की एक नक्काशीदार मूर्ति है। आसपास के क्षेत्र में भगवान राम, सीता माता और अंजना देवी के मंदिर भी उपस्थित हैं। यह हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यह मंदिर एक सफेद पुती हुई संरचना है। छत में पिरामिड संरचना है जिसके शीर्ष पर एक छोटा लाल गुंबद है। एक लाल झंडा हवा में लहराता है और दूर से आसानी से दिखाई देता है। अंजनद्री हिल से मनमोहक पर परिदृश्य, आश्चर्यजनक सूर्यास्त के दृश्य और पहाड़ों और चट्टानों के बीच बहती तुंगभद्रा नदी के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान को किष्किंधा के नाम से जाना जाता है और हनुमान को मानने वाले लोग यहां आते हैं। यहां लगभग 575 सीढ़ियां हैं और पहाड़ी पर चढ़ने में लगभग 45 मिनट लगते हैं।
प्राचीन ग्रंथों में किष्किंधा के नाम से प्रसिद्ध अंजनाद्री का ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। विद्वान दावा करते है कि ये वास्तव में भगवान हनुमान का जन्म स्थान है, जो पुराणों, शास्त्रों और अभिलेखों से प्राप्त साक्ष्यों द्वारा समर्थित है। अंदनाद्री पहाड़ी, जिसे अंजेयनाद्री भी कहा जाता है, हिंदू पौराणिक कथाओं से सराबोर है।
माना जाता है कि अंजनद्री पहाड़ी महाकाव्य रामायण में वर्णित बंदरों के साम्राज्य किष्किंधा का स्थल है। इस प्राचीन साम्राज्य पर बाली का शासन था और बाद में यह हनुमान और उनके साथी वानरों का निवास स्थान बन गया। किष्किंधा के साथ पहाड़ी का जुड़ाव इसके रहस्यमय आकर्षण को और बढ़ा देता है।
भगवान राम की पहली भेंट भक्त हनुमान से यही हुई थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब रावण महाराष्ट्र में नासिक के पास पंचवटी से माता सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। तब सीता कहां गई श्री राम और लक्ष्मण को पता नहीं था। वह जंगल-जंगल भटके, लेकिन माता सीता का कुछ पता नहीं चला। उस समय सीता की खोज करते हुए दोनों भाई किष्किंधा पहुंचे। इस क्षेत्र में ही अंजनी पर्वत पर बजरंगबली के पिता महाराज केसरी का राज था, जहां बजरंगबली रहते थे।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की पहली मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव के मित्र, बजरंगबली थे जब उन्हें पता कि दो राजकुमार उनके क्षेत्र में आए हैं। तब वह ब्राह्मण रूप में उनसे मिलने पहुंचे। उन्होंने विनम्रता से कहा, सांवले शरीर वाले आप कौन है, क्या आप ब्रह्मा, विष्णु, महेश इस तीन देवताओं में से कोई हैं या आप दोनों नर और नारायण है ?
इस पर श्रीराम ने कहा, हम अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र हैं और पिता का वचन पूरा करने के लिए वनवास पर निकले हैं। हमारे नाम राम-लक्ष्मण है, हम दोनों भाई हैं। हमारे साथ सुंदर सुकुमारी स्त्री थी। यहां वन के राक्षस ने मेरी पत्नी को हर लिया है। हे ब्राह्मण हन उन्हें ही खोज रहे है। हमने तो अपना चरित्र सुनाया अब आप अपने बारे में सुनाइए, आप कौन है ? प्रभु को पहचान कर हनुमानजी उनके चरण पकड़कर पृथ्वी पर नतमस्तक हो गए। उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम कर स्तुति की। अपने आराध्य को सामने देखकर वो खुशी से भर गए।
प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती और रामनवमी धूमधाम से मनाई जाती है।
हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा विजयनगर एयरपोर्ट है जो लगभग 73 किमी दूर है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा अंजनद्री हिल्स पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - अंजनद्री हिल्स का निकटतम रेलवे स्टेशन कोप्पल, होसपेट और मुनिराबाद है, जो लगभग 40 किमी दूर है। आप पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए स्टेशन से कैब या रिक्शा ले सकते हैं।
सड़क मार्ग - अंजनद्री हिल्स पहुंचने का सबसे सुविधाजनक तरीका सड़क मार्ग है। यहां पहुंचने के लिए रास्ता बहुत अच्छा है। हरे-भरे धान के खेतों से सुंदर ड्राइव का आनंद ले सकते हैं।
अंजनद्री हिल्स का समय - सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक।
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