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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात सौराष्ट्र (Somnath Jyotirlinga, Gujarat Saurashtra)

भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इन सब में सबसे पहला नाम है गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का। यह ज्योतिर्लिंग बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले प्रकट हुआ था इसलिए इसे प्रथम ज्योतिर्लिंग और सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ऋग्वेद के अनुसार इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कन्दपुराणादि में विस्तार से बताई गई है। कहा जाता है कि इस मंदिर को 6 बार बाहरी आक्रमणों और विपदाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन यहां की नींव इतनी मजबूत है कि कोई भी आक्रांता इसे भेद नहीं पाया। मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा, इतिहास और इसके बारे में कुछ खास भी काफी प्रचलित है:


पौराणिक कथा

वैसे तो सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। लेकिन जन अनुश्रुतियों और पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति की सत्ताइस कन्याएं थीं। उन सभी का विवाह चंद्रदेव के साथ हुआ था। किंतु चंद्रमा का समस्त अनुराग व प्रेम उनमें से केवल रोहिणी के प्रति ही रहता था। रोहिणी के प्रति चंद्रदेव के इस व्यवहार से दक्ष प्रजापति की अन्य कन्याएं बहुत अप्रसन्न रहती थीं। उन्होंने अपनी यह व्यथा अपने पिता को सुनाई। दक्ष प्रजापति ने इसके लिए चंद्रदेव को कई बार समझाने का प्रयास भी किया। लेकिन रोहिणी के वशीभूत उनके हृदय पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसलिए दक्ष ने क्रोध में आकर उन्हें 'क्षयग्रस्त' हो जाने का श्राप दे दिया। इसके अलावा दक्ष ने कहा कि दिन-प्रतिदिन तुम्हारा शरीर धूमिल होता जाएगा। इस श्राप के बाद पूरी पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगा और समस्त जन में हाहाकर मच गया। देवताओं ने दक्ष से उनका श्राप वापस लेने की बात कही लेकिन उन्होंने कहा कि सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करने से श्राप के प्रकोप को रोका जा सकता है। सोम ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित अरब सागर में स्नान करके भगवान शिव की आराधना की प्रभु शिव यहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए और चन्द्रमा को दक्ष के श्राप से मुक्त कर उनका उद्धार किया।


सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण

एक बार अरब यात्री अल-बरूनी सोमनाथ आए थे. उन्होंने मंदिर की भव्यता और दिव्यता को देखकर मंदिर के वर्णन के लिए कुछ लिखने का सोचा। बरूनी ने अपने लेख में सोमनाथ मंदिर का इतना सुंदर वर्णन किया कि इसे सुनकर 1025-46 ई. में महमूद गजनवी ने गुजरात पर आक्रमण कर दिया और बेहद समृद्ध सोमनाथ मंदिर को लूट लिया। दावा किया जाता है कि सोमनाथ मंदिर में उस समय 1,00,000 तीर्थयात्री एक साथ रहते थे और करीब 1 हजार ब्राह्मण मंदिर की सेवा और यहां के खजाने की देखभाल करते थे। आक्रांताओं ने जबब इस मंदिर पर आक्रमण किया तो इसकी रक्षा में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। रक्षा के लिए सामने आए वह लोग इसी क्षेत्र के निवासी थे। इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने करवाया। लेकिन जब गुजरात पर दिल्ली की सल्तनत का कब्जा हुआ तब एक बार फिर 1297 इस मंदिर पर अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने हमला किया और यहां की अमूल्य संपत्ति को लूटकर ले गया। मंदिर को 1395 और 1412 में भी तोड़ा गया लेकिन जीर्णोद्धार का सिलसिला चलता रहा जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के भक्तिभाव में कभी कोई कमी नहीं आई।


इतिहासकारों के अनुसार औरंगजेब के समय में भी दो बार सोमनाथ मंदिर पर हमले का जिक्र मिलता है इन हमलों में मंदिर लगभग नष्ट कर दिया था। लेकिन तब भी हिंदू इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते और भगवान सोमनाथ की आराधना करते थे। इस बात से नाराज होकर औरंगजेब ने मंदिर पर एक सैन्य टुकड़ी भेजकर कर कत्लेआम भी मनाया था। कहा जाता है कि चन्द्र देव ने इस मंदिर का निर्माण सोने से करवाया था। जिसके बाद रवि ने चांदी से और फिर श्री कृष्ण ने काठ से मंदिर का निर्माण करवाया। पहली पर पत्थरों से सोमनाथ मंदिर का निर्माण राजा भीमदेव ने करवाया था।


सोमनाथ मंदिर का निर्माण

आपको बता दें कि वर्तमान में जो मंदिर अब है, उसे 1947 के बाद भारत के गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बनवाया था। मंदिर निर्माण के बाद 1 दिसंबर 1995 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। सरदार पटेल सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव लेकर महात्मा गांधी के पास गए थे। गांधी जी ने इस प्रस्ताव की सराहना की और जनता से धन एकत्र करने का सुझाव दिया। सरदार पटेल की मृत्यु के बाद केएम मुंशी के मार्गदर्शन में मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य पूरा किया गया। मुंशी उस समय भारत सरकार के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री थे। मंदिर का निर्माण कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में किया गया था। मंदिर में एक गर्भगृह, एक सभा कक्ष और एक नृत्य कक्ष है। साथ ही शिखर के शीर्ष पर रखे गए कलश का वजन 10 किलोग्राम है और ध्वजदंड 27 फीट ऊंचा और एक फीट की परिधि वाला है।


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग या मंदिर में दर्शन और आरती का समय

मंदिर सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक दर्शनों के लिए खुला रहता है। सोमनाथ मंदिर में तीन बार आरती होती है। यहां सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे आरती की जाती है, जिसमें सभी भक्त शामिल होते हैं। इसके अलावा मंदिर में एक लाइट शो का प्रदर्शन भी किया जाता है, अगर आप 'जय सोमनाथ' लाइट एंड साउंड शो देखना चाहते हैं तो आपको रात 8 बजे तक वहां पहुंचना होगा। 8 बजे से शुरू होने वाला ये शो करीब एक घंटे का होता है जो रात 9 बजे समाप्त हो जाता है।


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के वेरावल बंदरागह में स्थित है, ये स्थान भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 1,393 किमी की दूरी पर है। दिल्ली से सोमनाथ मंदिर पहुंचने के लिए आप तीन तरह से आवागमन साधनों का उपयोग कर सकते हैं।


सड़क मार्ग-

सोमनाथ अच्छे सड़क नेटवर्क के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम गिरसोमनाथ को गुजरात और देश के अन्य राज्यों के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से जोड़ने वाली बसें चलाता है।


हवाई मार्ग-

सोमनाथ से सबसे निकटतम हवाईअड्डा दीव एयरपोर्ट है। जो यहां से 70 से 80 किमी की दूरी पर है। यह हवाई अड्डा अन्य शहरों और आसपास के क्षेत्रों से काफी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। फ्लाइट से उतरने के बाद, सोमनाथ तक पहुंचने के लिए आप कैब या स्थानीय वाहनों का सहारा ले सकते हैं।


रेल मार्ग से-

सोमनाथ से निकटतम रेलवे स्टेशन वेरावल स्टेशन है। यह पश्चिम रेलवे जोन के भावनगर रेलवे डिवीजन के अंतर्गत आता है और आस-पास के क्षेत्रों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। ट्रेन से उतरने के बाद आपको करीब 5-10 किमी की दूरी तय करनी होगी। इसके लिए आप कैब या परिवहन के किसी अन्य विकल्प पर विचार कर सकते हैं।


सोमनाथ जाने का सबसे अच्छा मौसम

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक रहता है। हालांकि यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है। बता दें कि शिवरात्रि (फरवरी या मार्च में) और कार्तिक पूर्णिमा (दिवाली के करीब) पर यहां काफी अच्छा लगता है।


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के साथ साथ आप आसपास के इन स्थानों को घूम सकते हैं

सोमनाथ बीच, पांच पांडव गुफा, लक्ष्मीनारायण मंदिर, चोरवाड़ बीच, सूरज मंदिर

सोमनाथ मंदिर के नजदीकि कई बजट फ्रेंडली और अच्छी रेटिंग्स वाली होटल्स हैं जहां आप आसानी से स्टे कर सकते हैं:

Hotel Shree Radhe

Hotel Om Somnath

Hotel Shivaay

The Fern Residency

Lords In Somnath

डिसक्लेमर

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