नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात ( Nageshwar Jyotirlinga, Gujarat)

शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों का बहुत महत्व बताया गया है। इन सभी पावन ज्योतिर्लिंगों का अपना धार्मिक महत्व और मान्यताएं है। लेकिन क्या आप जानते हैं गुजरात राज्य के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर बाहरी क्षेत्र में एक ज्योतिर्लिंग है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां धातुओं से बने नाग-नागिन अर्पित करने से कुंडली से काल सर्प दोष खत्म हो जाता है। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि यहां के दर्शन से तमाम पापों का अंत हो जाता है। जिस मंदिर के बारे में ये सारी कथाएं प्रचलित हैं उनका नाम है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में 10 वें स्थान पर आने वाले नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम का अर्थ नागों का ईश्वर या नागों के देवता होता है। ये मंदिर भगवान वासुकी को समर्पित है जो शिव के गले में माला के रूप में रहते हैं। यहां स्थापित ज्योतिर्लिंग के ऊपर चांदी का एक बड़ा सा नाग बनाया गया है और पीछे माता पार्वती की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। रुद्र संहिता में शिव को 'दारुकावन नागेशम' के रूप में बताया गया है। इस मंदिर की खास बात यह भी है कि यहां भगवान शिव की एक बहुत बड़ी ध्यान मुद्रा में विशाल प्रतिमा बनाई गई है। जिसकी वजह से यह मंदिर 3 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देने लगता है। भगवान भोलेनाथ की मूर्ति करीब 80 फीट ऊंची और 25 फीट चौड़ी है। तो आईये जानते हैं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा और मंदिर के बारे में कुछ खास बातें...


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा

अन्य ज्योतिर्लिंगो की ही तरह नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति से जुडी कई किवंदतियां और पौराणिक कथाएं हैं। इनमें एक पौराणिक कथा के अनुसार दारुक नाम का एक राक्षस था। उसे दारुका वन में जाने की अनुमति नहीं थी। उसने कठिन तपस्या कर माता पार्वती को प्रसन्न कर लिया था। माता पार्वती ने दारुका से वरदान मांगने को कहा था तो राक्षस ने वह दारुका वन में कई प्रकार की दैवीय औषधियां है। उसने देवी पार्वती से सदकर्मों के लिए राक्षसों को वन में जाने का वरदान मांगा। देवी पार्वती राक्षस के विचारों से प्रसन्न हुई और उन्होंने उसे दारुक वन में जाने का वरदान दे दिया लेकिन वरदान मिलते ही दारुक और अन्य राक्षसों ने वन को देवताओं से छीन लिया। वन में एक सुप्रिय नाम का शिवभक्त था जिसे दारुक ने बंदी बना लिया था। इसके बाद सुप्रिय ने शिव की तपस्या की और उनसे राक्षसों के नाश का वरदान मांगा। अपने परम भक्त की रक्षा के लिए भगवान शिव दिव्य ज्योति के रूप में एक बिल से प्रकट हुए। महादेव ने राक्षसों से विनाश कर दिया। सुप्रिय ने उस ज्योतिर्लिंग का विधिवत पूजन किया और शिवजी से इसी स्थान पर स्थापित होने का आग्रह किया। भगवान शिव अपने भक्त का आग्रह मान कर वहीं स्थापित हो गए। इस प्रकार इस ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई।


नागेश्वर मंदिर के बारे में कुछ खास बातें

नागेश्वर मंदिर प्राचीन हिंदू वास्तुकला का एक अनुपम उदाहरण है। मंदिर का निर्माण क्षेत्र मूल मोसम के अनुसार किया गया है ओर यह नागेश्वर झील की ओर धीरे-धीरे ढलान पर है। मंदिर की कुल ऊंचाई 110 फीट जमीन से ऊपर है। मंदिर में तीन अलग-अलग स्तर हैं। गर्भगृह या प्रथम स्तर ज़मीन से 6 इंच नीचे है जबकि रंगमंडप ज़मीन से 2 इंच ऊपर (दूसरा स्तर) है। यह गर्भगृह बीच में स्थित है। माना जाता है कि यह स्थान बीच में भगवान (लिंग) और मंडप में देवताओं के बीच संक्रमण का स्थान है। मंदिर की नींव चट्टानी शैली में बनाई गई है क्योंकि इसका आकार बहुत बड़ा है और नीचे कोई चट्टानी परत नहीं है। पूरा मंदिर आरसीसी या प्रतिरोध रेल से बना हे जिसमें जंगरोधी रासायनिक कोटिम्स हैं। संरचना परफेक्ट और छिद्रपूर्ण अस्तर वाले पोरबंदर पत्थर को चढ़ाया गया है। मुख्य गर्भगृह में शिव लिंग है, जो मंदिर का मुख्य देवता है। माना जाता है कि यह लिंग स्वयंभू है, जिसका अर्थ है कि यह अपने आप प्रकट हुआ है। मंदिर परिसर में विभिन्न देवताओं को समर्पित छोटे मंदिर भी शामिल हैं, जो इस स्थान की आध्यात्मिक आभा को बढ़ाते हैं।


नागेश्वर मंदिर में दर्शन और आरती का समय

मंदिर आमतौर पर सुबह 6 बजे भक्तों के लिए खोल दिया जाता है। इस दौरान सुबह की मंगला आरती होती है। इसके बाद दोपहर 12 बजे मध्याह्न आरती होती है। शाम 4 बजे से 4:30 बजे तक श्रंगार दर्शन होते हैं। इसके बाद सायं 7 बजे से 7:30 बजे तक संध्या आरती होती है। 9 बजे से 9:30 बजे तक रात्रि आरती होती है और इसके बाद मंदिर बंद हो जाता है। बता दें कि मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 9:30 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है। विशेष अवसरों, त्यौहारों और धार्मिक समारोह के दौरान विशिष्ट समय अलग-अलग हो सकता है।


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस-पास घूमने की जगह

नागेश्वर मंदिर में दर्शन करने के अलावा आप नीचे दी गई जगहों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं...

श्री द्वारकाधीश मंदिर

बेत द्वारका द्वीप

शिवराजपुर बीच

रुक्मिणी देवी मंदिर

सुदामा सेतु

श्री स्वामीनारायण मंदिर

नेक्सॉन बीच

गोमती घाट

गोपी सरोवर

प्रकाशस्तंभ

द्वारका बीच


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन करने और घूमने का सबसे अच्छा मौसम

वैसे तो आप 12 माह में कभी भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं लेकिन मंदिर के आस पास और भी जगहों को एक्सप्लोर करने के लिए आप सर्दियों के मौसम के दौरान अक्टूबर से मार्च तक गुजरात की यात्रा कर सकते हैं। इन महीनों के दौरान मौसम सुहावना रहता है। बता दें कि शिवरात्रि के दौरान यहां भगवान शंकर के भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

राजधानी दिल्ली से नागेश्वर मंदिर की दूरी लगभग 1,424.0 किलोमीटर है।


हवाई मार्ग से- यदि आप फ्लाइट से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचना चाहते हैं। तो यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जामनगर है, जो द्वारका से लगभग 137 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जामनगर एयरपोर्ट नियमित उड़ानों से मुंबई से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट पर उतरने के बाद आप आसानी से प्राइवेट टैक्सी लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं। एयरपोर्ट के बाहर आपको बस भी मिल जाएगी।


रेल मार्ग से- यदि आप ट्रेन से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का प्लान कर रहे हैं तो यहां से सबसे पास का रेलवे स्टेशन द्वारका रेलवे स्टेशन है, जो देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है। आप ट्रेन से यहां आसानी से आ सकते हैं। ट्रेन से उतरने के बाद अब आप यहां से ऑटो या कैब लेकर मंदिर जा सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 18 किलोमीटर है।


सड़क मार्ग से- यदि आप सड़क मार्ग से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचना चाहते हैं तो आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। आप अपनी खुद की कार, प्राइवेट टैक्सी या बस से यहां आसानी से आ पाएंगे। वहीं जामनगर और अहमदाबाद से द्वारका के लिए डायरेक्ट बसें उपलब्ध हैं। बता दें कि द्वारका से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 18 किलोमीटर (25 मिनट की ड्राइव) है। इसके अलावा द्वारका से ऑटो-रिक्शा और टैक्सी भी आसानी से उपलब्ध हैं।


नागेश्वर मंदिर के पास इन Hotels में कर सकते हैं स्टे

The Sky Comfort Hotel

Hotel Holliston

Hotel Shreedhara

Lemon Tree Premier

VITS Devbhumi

Damji Hotel

Devbhoomi Residency

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।