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वैसे तो भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं लेकिन आज हम जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, वह मंदिर चट मंगनी पट ब्याह के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर में होने वाली शादियों का आंकड़ा हर साल पिछले साल से ज्यादा होता है। झारखंड राज्य का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल देवघर है। देवघर को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यहां सावन भर श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है। ये मंदिर झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर में स्थित है। इसे हरिहर धाम के नाम से जाना जाता है। यहां पर स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 65 फीट है। यह शिवलिंग एक मंदिर है। जबकि इसके अंदर एक और छोटा सा शिवलिंग स्थापित है, जिसकी पूजा की जाती है।
इस मंदिर का इतिहास पश्चिम बंगाल से जुड़ा हुआ है। पश्चिम बंगाल निवासी अमरनाथ मुखोपाध्याय के द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया था। बताया जाता है कि वो बहुत विद्धान थे और बंगाल में जज के पद पर नियुक्त थे। सांसारिक मोह माया का त्याग करते हुए वो चारों धाम की यात्रा के लिए पदयात्रा करने निकले थे। इस दौरान वो बगोदर में रुके थे और उन्हें यह स्थान बहुत पसंद आ गया था, जहां पर मंदिर बनाया गया है। इसके बाद लोगों के सहयोग से उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया।
वर्ष 1988 में इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इसके तीन साल बाद ही मंदिर के संस्थापक अमरनाथ मुखोपाध्याय ने 1991 को प्राण त्याग दिए। शिव मंदिर हरिहर धाम जिस स्थान पर स्थित है, ये स्थान मंदिर के पहले सुनसान रहता था। आस पास श्मशान घाट व झाड़ियां होने के कारण लोग दिन में वहां जाने से डरते थे। लेकिन जब से मंदिर बनना शुरु हुआ, तभी से इस जगह की अहमियत बढ़ती गई। मंदिर प्रांगण में अमरनाथ महाराज की भी भव्य प्रतिमा है।
हरिहर धाम के बारे में बताया जाता है कि यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां होने वाली शादियां हर दूसरे साल अपना ही रिकॉर्ड तोड़ देती है। अर्थात इस मंदिर में होने वाली शादियों का आंकड़ा पिछले साल से हर साल ज्यादा होता है। बताया जाता है कि यहां पर हर साल एक हजार से ज्यादा जोड़े शादी के शुभ लग्न के मौके पर भगवान शंकर को साक्षी मानकर ब्याह रचाते हैं। यहीं कारण है कि यहां पर विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं और हरिहर धाम में भगवान शंकर को साक्षी मान कर ब्याह रचाते है।
मंदिर परिसर में मां पार्वती, भगवान गणेश, हनुमान, राधा कृष्ण समेत अन्य देवी-देवताओं की भव्य मूर्तियां विराजमान हैं। यहां महाशिवरात्रि को पूजा अर्चना के लिए सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुषों की भीड़ जुटती है। यहां पर देश-विदेश से भक्त श्रावण मास की पूर्णिमा को इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा पर्यटक यहां पर साल भर आते हैं।
भगवान शिव की पूजा करने के लिए श्रावण पूर्णिमा के दिन यहां अच्छी खासी भीड़ होती है। श्रावण पूर्णिमा पवित्र श्रावण महीने की पूर्णिमा की रात को कहा जाता है। यह त्यौहारों और पवित्र अनुष्ठानों का महीना है। पवित्र श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के नाम से प्रसिद्ध नाग की पूजा का अनुष्ठान मनाया जाता है। अपने धार्मिक महत्व की वजह से हरिहर धाम हिंदू धर्म के लोगों के लिए विवाह के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है। वास्तुकला की भव्यता के अलावा यह मंदिर हिंदुओं द्वारा सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है।
इस शिवलिंग की ऊंचाई 65 फीट है। यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और नदी से घिरा हुआ है। विशाल शिवलिंग का निर्माण पूरा होने में लगभग 30 साल लगे। मंदिर के अंदर का भाग बहुत मनमोहक है। वहीं शिवलिंग के सामने नंदी विराजमान है।
हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा बिरसा मुंडा हवाई अड्डा है जो झारखंड की राजधानी रांची में स्थित है। यहां से आप टैक्सी या बस के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन हजारीबाग रोड है, जो मंदिर से केवल 13 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से आप ऑटो या टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग - झारखंड की सड़कें अच्छी तरह से विकसित हैं और कई शहरों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है। कोई भी व्यक्ति अपने निजी वाहन से भी यहां पहुंच सकता है।
मंदिर का समय - सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक।
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