श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा, जम्मू और कश्मीर (Sri Vaishno Devi Temple, Katra, Jammu and Kashmir)

दर्शन समय

4:00 - 12:00 PM

श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा, जम्मू और कश्मीर

श्री वैष्णो देवी माता के मंदिर का महत्व

श्री वैष्णो देवी माता के मंदिर का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। उत्तरी राज्य जम्मू और कश्मीर में सुरम्य त्रिकुटा पर्वतों के बीच स्थित, वैष्णो देवी मंदिर एक पवित्र तीर्थ स्थल है जो सालाना लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। यह प्रतिष्ठित मंदिर देवी वैष्णो देवी को समर्पित है, जो हिंदू देवी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का अवतार हैं। मान्यता है कि माता वैष्णो देवी का ध्यान करने और उनके दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस मंदिर को पहुँचने के लिए लाखों श्रद्धालुओं का संग्रह होता है, यह एक बहुत ही कठिन यात्रा है जिसमें कटरा से लगभग 12 किमी की पहाड़ों की यात्रा शामिल है। यहाँ की यात्रा को चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। माता वैष्णो देवी के मंदिर में पूजा-अर्चना करने का अनुभव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और वे यहाँ आकर अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन करते हैं।

श्री वैष्णो देवी माता के मंदिर का हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान है, जो श्रद्धालुओं को धार्मिक और आध्यात्मिक उत्तेजना प्रदान करता है और उन्हें अपने आदर्शों के प्रति संवेदनशील बनाता है। इसके माध्यम से हिन्दू समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो समृद्धि, शांति और आनंद का संदेश लाता है।


श्री वैष्णो देवी माता के मंदिर की कथा:

माता से जुड़ी एक पौराणिक कथा काफी प्रसिद्ध है जो माता के एक भक्त श्रीधर से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार वर्तमान कटरा क़स्बे से 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित हंसाली गांव में मां वैष्णवी के परम भक्त श्रीधर रहते थे, जो कि नि:संतान थे। संतान ना होने का दुख उन्हें पल-पल सताता था।

इसलिए एक दिन नवरात्रि पूजन के लिए कुंवारी कन्याओं को बुलवाया। अपने भक्त को आशीर्वाद देने के लिए मां वैष्णो भी कन्या वेश में उन्हीं के बीच आ बैठीं। पूजन के बाद सभी कन्याएं तो चली गईं पर मां वैष्णों देवी वहीं रहीं और श्रीधर से बोलीं, “सबको अपने घर भंडारे का निमंत्रण दे आओ।“

श्रीधर पहले तो कुछ दुविधा में पड़ गए। एक गरीब इंसान इतने बड़े गांव को भोजन कैसे खिला सकता था। लेकिन कन्या के आश्वासन पर उसने आसपास के गांवों में भंडारे का संदेश पहुंचा दिया। साथ ही वापस आते समय बीच रास्ते में श्रीधर ने गुरु गोरखनाथ व उनके शिष्य बाबा भैरवनाथ को भी भोजन का निमंत्रण दे दिया।

श्रीधर के इस निमंत्रण से सभी गांव वाले अचंभित थे, वे समझ नहीं पा रहे थे कि वह कौन सी कन्या है जो इतने सारे लोगों को भोजन करवाना चाहती है? लेकिन निमंत्रण के अनुसार सभी एक-एक करके श्रीधर के घर में एकत्रित हुए। तब कन्या के स्वरूप में वहां मौजूद मां वैष्णो देवी ने एक विचित्र पात्र से सभी को भोजन परोसना शुरू किया।

भोजन परोसते हुए जब वह कन्या बाबा भैरवनाथ के पास गई तो उसने कन्या से वैष्णव खाने की जगह मांस भक्षण और मदिरापान मांगा। लेकिन यह तो संभव नहीं था, फलस्वरूप कन्या रूपी देवी ने उसे समझाया कि यह ब्राह्मण के यहां का भोजन है, इसमें मांसाहार नहीं किया जाता।

किन्तु भैरवनाथ तो हठ करके बैठ गया और कहने लगा कि वह तो मांसाहार भोजन ही खाएगा। लाख मनाने के बाद भी वे ना माने। बाद में जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकडना चाहा, तब मां ने उसके कपट को जान लिया और तुरंत ही वे वायु रूप में बदलकर त्रिकूटा पर्वत की ओर उड़ चलीं।

भैरवनाथ भी उनके पीछे गया। कहते हैं जब मां पहाड़ी की एक गुफा के पास पहुंचीं तो उन्होंने हनुमानजी को बुलाया और उनसे कहा कि मैं इस गुफा में नौ माह तक तप करूंगी, 

हनुमानजी ने गुफा के बाहर भैरवनाथ से युद्ध किया लेकिन जब वे निढाल होने लगे तब माता वैष्णवी ने महाकाली का रूप लेकर भैरवनाथ का संहार कर दिया। भैरवनाथ का सिर कटकर भवन से 8 कि. मी. दूर त्रिकूट पर्वत की भैरव घाटी में गिरा। उस स्थान को भैरोनाथ के मंदिर के नाम से जाना जाता है।

भैरवनाथ को मोक्ष दान देने के बाद वैष्णो देवी ने तीन पिंड (सिर) सहित एक चट्टान का आकार ग्रहण किया और सदा के लिए ध्यानमग्न हो गईं।

माता के इन तीन पिंडों का चमत्कारी प्रभाव भी रोचक है। यह आदिशक्ति के तीन रूप माने जाते हैं - पहली पिंडी मां महासरस्वती की है, जो ज्ञान की देवी हैं; दूसरी पिंडी मां महालक्ष्मी की है, जो धन-वैभव की देवी हैं और तीसरी पिंडी मां महाकाली को समर्पित है, जो शक्ति का रूप मानी जाती हैं।


श्री वैष्णो देवी माता के मंदिर में पूजा की विधि :

श्री वैष्णो माता मंदिर, कटरा, में पूजा की विधि अत्यंत प्रशंसनीय और प्राचीन है। यहाँ पूजा की विधि कुछ इस प्रकार है:

  1. दर्शन: सबसे पहले, मंदिर में पहुँचने पर माता के दर्शन होते हैं। यह एक श्रद्धा भरा क्षण होता है।


  1. आरती: पूजा के दौरान आरती गाई जाती है, जिसमें भक्त भगवान की महिमा गाते हैं और दिया जलाते हैं।


  1. प्रणाम: फिर भक्त अपने श्रद्धाभाव से माता के सामने आसन बैठते हैं और प्रणाम करते हैं।


  1. पूजा: फिर पूजा की जाती है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पूजा सामग्री का उपयोग होता है, जैसे कि फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, और पानी।


  1. भजन: इसके बाद, भक्त भजन गाते हैं, जिससे भगवान की प्रशंसा की जाती है।


  1. प्रसाद: अंत में, प्रसाद बाँटा जाता है, जो आमतौर पर हलवा और पूरी होता है।

यह सभी धार्मिक कार्यक्रम भक्तों के आत्मीयता और ध्यान को विशेषतः संदर्भित करते हैं। यह विधि अनुसार संपन्न की जाती है और भगवान की प्रीति और आशीर्वाद की प्राप्ति में मदद करती है।

श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा, जम्मू और कश्मीर पहुँचने के लिए परिवहन सुविधाएं।

श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा, जम्मू और कश्मीर तक पहुँचने के लिए कई परिवहन सुविधाएं हैं। यहाँ कुछ मुख्य सुविधाएं हैं:

  1. हवाई यातायात: नजदीकी हवाई अड्डों, जम्मू के सतवारी हवाई अड्डा या श्रीनगर हवाई अड्डा से आप कटरा तक टैक्सी, बस या ऑटो रिक्शा का इस्तेमाल करके पहुँच सकते हैं।


  1. रेलवे: जम्मू रेलवे स्टेशन से करीब 48 किलोमीटर की दूरी पर कटरा रेलवे स्टेशन है। यहाँ से टैक्सी, बस या ऑटो रिक्शा का उपयोग करके भक्त आसानी से श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा, को पहुँच सकते हैं।


  1. बस सेवा: बहुत सारी राज्य सरकार और निजी बस सेवाएँ कटरा तक चलती हैं। जम्मू, दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़, लखनऊ, और अन्य कई शहरों से बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।


  1. सड़क परिवहन: कटरा तक पहुँचने के लिए अपनी गाड़ी या टैक्सी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। राजमार्ग से सीधे कटरा तक पहुँच सकते हैं।

इन सभी परिवहन सुविधाओं का उपयोग करके भक्त आसानी से श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा, को पहुँच सकते हैं। ध्यान दें कि यात्रा के समय सुरक्षा और सावधानी बरतें।


श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा के आस-पास कुछ अन्य होटल और गेस्ट हाउस की सूची निम्नलिखित है:

श्रीवेष्णोदेवी मंदिर, कटरा के आस पास कई अच्छे होटल और गेस्ट हाउस हैं जहाँ आप रुक सकते हैं। यहाँ कुछ विकल्प हैं:

  1. होटल माहादेव पालेस: यह होटल मंदिर के पास है और आरामदायक कमरे और शानदार सुविधाएं प्रदान करता है।

  2. होटल श्री कटरा: यह भी मंदिर के निकट स्थित है और सुविधाजनक कमरे और स्वादिष्ट भोजन प्रदान करता है।

  3. होटल वैष्णो देवी ग्रेस: यह भी एक अच्छा विकल्प है, जो मंदिर से कुछ ही दूर है और सुखद कमरे और सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करता है।

  4. गेस्ट हाउस सुमित्रा: यह आरामदायक और सस्ता विकल्प है, जो भक्तों को शान्ति और आराम की सुविधा प्रदान करता है।

  5. जय माता दी लजवाब होटल: यह भी एक अच्छा और सस्ता होटल है, जो भक्तों को आरामदायक रहने की सुविधा प्रदान करता है।

  6. वैष्णो देवी हॉलीडे होम: यह एक गेस्ट हाउस है जो आरामदायक और साफ-सुथरे कमरों के साथ सुविधाएं प्रदान करता है। मंदिर के पास स्थित होने के कारण यह यात्रियों के लिए अच्छा विकल्प है।

  7. होटल अंबिका: यह विभिन्न बजटों के लिए कमरों की विविधता प्रदान करता है। श्रीवेष्णोदेवी मंदिर के पास स्थित होने के कारण यह यात्रियों के लिए उपयुक्त है।

  8. होटल माहेश्वरी: यहाँ आरामदायक कमरे और सुविधाएं हैं जो यात्रियों को आराम और सुखद अनुभव प्रदान करती हैं। श्रीवेष्णोदेवी मंदिर के निकट स्थित होने के कारण यह ठहरने का अच्छा विकल्प है।

ये सभी होटल और गेस्ट हाउस मंदिर के पास स्थित हैं और आपको श्रीवेष्णोदेवी मंदिर की यात्रा के दौरान सुखद और आरामदायक रहने का अनुभव प्रदान करेंगे।


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।