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हिमालय दुनिया की कठिनतम चढ़ाई में से एक हैं। हिमालय में ही पंच कैलाश हैं जहां की यात्रा सबसे दुर्गम मानी जाती है। किन्नौर कैलाश उन्हीं पंच कैलाश में से एक है। किन्नौर कैलाश हिमाचल प्रदेश में स्थित है। श्रद्धालुओं के लिए भी ये जगह बहुत पवित्र है। हर साल यहां किन्नौर कैलाश की यात्रा होती है। बड़ी संख्या में लोग इस यात्रा में शामिल होते है। कहा जाता है कि भगवान शिव और देवी पार्वती का यहां मिलन होता है।
किन्नौर कैलाश समुद्र तल से 15,004 फीट की ऊंचाई पर हैं। किन्नौर कैलाश पर्वत पर हिम खंड स्थापित है जो प्राकृतिक शिवलिंग है यानी कि यह स्वयं प्रकट हुआ है। किन्नौर कैलाश पर्वत का प्राकृतिक शिवलिंग दिन के दौरान रंग बदलता है। ये चट्टान माउंट कैलाश और माउंट जॉर्कण्डेन की 20,000 फीट ऊंची किन्नौर पर्वतमाला के बीच में है। किन्नौर कैलाश यात्रा को मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कठिन माना गया है। किन्नौर कैलाश शिवलिंग पर्वत भगवान शिव के सबसे पुराने निवास स्थान में से एक माना गया है। किन्नौर कैलाश की यात्रा सिर्फ 1 महीने के लिए खुली होती है। इस दौरान भक्त दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। ये यात्रा हर साल सावन में शुरू होती है। यात्रा पूरी करने के बाद भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं। किन्नौर कैलाश पर्वत की परिक्रमा भी की जाती है। किन्नौर कैलाश हिंदुओं का तीर्थ स्थल होने के साथ ही बौद्ध अनुयायी भी इसे पवित्र मानते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, इस पर्वत पर ही भगवान शिव और माता पार्वती का पहली बार मिलन हुआ था। पहली बार दोनों ने एक दूसरे को इसी जगह पर देखा था। जब शिव पार्वती का मिलन हुआ , तब ब्रह्म कमल का पुष्प इस स्थान पर खिल उठा था जिसका तेज पूरे संसार में फैल गया था। ऐसा कहा जाता है कि आज भी किन्नौर कैलाश की यात्रा के दौरान अक्सर ब्रह्म कमल के फूल दिखते हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये फूल सिर्फ उन्हें ही नजर आता है जिनका मन पवित्र होता है और भक्ति से भरा रहता है।
किन्नौर कैलाश के बारे में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, किन्नौर कैलाश पर्वत भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन स्थल है। इसी कारण गणेश पार्क या कैलाश पार्क के पहले प्रेम पार्क कहा जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव हर साल सर्दियों में किन्नौर कैलाश शिखर पर देवी-देवताओं की बैठक आयोजित करते थे।
हवाई मार्ग - किन्नौर कैलाश के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चंडीगढ़ है। चंडीगढ़ के लिए पूरे भारत से लगातार उड़ानें उपलब्ध है और फिर वहां से टैंगलिंग पहुंचने के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
रेल मार्ग - किन्नौर में रेल नेटवर्क नहीं है। कालका, जो दिल्ली और चंडीगढ़ से ट्रेन के द्वारा पांच से छह घंटे की दूरी पर है। इसके बाद किन्नौर कैलाश ट्रैक के बेस पॉइंट पर जाने के लिए स्थानीय बस या टैक्सी ले सकते हैं।
सड़क मार्ग - हिमाचल प्रदेश परिवहन किन्नौर के विभिन्न हिस्सों के लिए कई बसें चलाता है। शिमला पहुंचने के लिए दिल्ली या चंडीगढ़ से टैक्सी या कैब सुविधा ली जा सकती है। किन्नौर पहुंचने के लिए सुविधाजनक सड़क नेटवर्क राष्ट्रीय राजमार्ग 22 है।
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