वैष्णोदेवी मंदिर, फरीदाबाद (Vaishnodevi Temple, Faridabad)

दर्शन समय

6 AM - 9 PM

बच्चे के कुएं में गिरने से हुआ वैष्णोदेवी मंदिर का निर्माण


श्री महारानी वैष्णो देवी मंदिर फरीदाबाद में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। हिंदू देवी महालक्ष्मी का एक रुप वैष्णो देवी मंदिर का मुख्य आकर्षण हैं। फरीदाबाद के सबसे पुराने देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान नौ दिन मां के नौ स्वरुपों के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। नवरात्रि के दिनों में ये मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। 


वैष्णो देवी मंदिर की नींव 1955 में रखी गई थी। मान्यता है कि यहां पहले कुआं था, जिसमें अशोक नाम का 4 साल का बच्चा गिर गया था, लेकिन वह डूबा नही। आसपास के लोग कुएं के पास पहुंचे तो बच्चा लाल कपड़े में लिपटा हुआ कुएं में बैठा दिखता है। ये देख कर लोग हैरान रह जाते हैं। बच्चा बताता है कि कुएं में माता की गोद में बैठा था। यह सुनने के बाद मुकंद लाल, हरनाम, फकीर चंद और संत राम निरुला माता की फोटो रखकर पूजा शुरु कर देते हैं। समय बीतने के साथ लोगों की मनोकामना पूरी होती गई, जिसके बाद यहां दान से मिले धन से मंदिर का निर्माण किया गया।


मंदिर में भगवान राम और महादेव के भी दर्शन


इस मंदिर परिसर में दो मंदिर है। एक महादेव और राम जी को समर्पित है और दूसरा माता वैष्णो देवी को। सालाना लाखों भक्तों को आकर्षित करने वाला यह मंदिर मां वैष्णो की पूजा करने और मन की शांति पाने के लिए एक पवित्र स्थान है। शाम 7 बजे के आसपास होने वाली आरती में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते है, जिससे एक दिव्य और अनोखा माहौल बनता है। अपने दो अलग-अलग मंदिरों के साथ, मां दुर्गा के सुंदर दर्शन का अवसर प्रदान करता है।


 चमत्कारी दो पेड़, जिसकी जड़ एक है


लोगों को ये जानकर हैरानी होती है कि यहां मंदिर परिसर में दो पेड़ है, लेकिन दोनों की जड़ एक ही है। यहां लोग मन्नत की चुनरी बांधते हैं। नवमी को सुबह पांच बजे से आकर परिक्रमा लगाते हैं। भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से बहुत जल्दी मन्नत पूरी हो जाती है। ये पेड़ कई साल पुराना है।


नवरात्र में जलती हैं प्रज्वलित नौ ज्योति 


यहां नवरात्र में हिमाचल प्रदेश में माता ज्वालामुखी मंदिर से भक्त पैदल जोत लेकर आते हैं और नवरात्र के पहले दिन पूरे विधि विधान से मंदिर में मां के सामने नौ अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है। मंदिर में दर्शन करने वाले भक्त यहां से घर जोत लेकर जाते हैं। नवरात्र के नौ दिन के बाद झांकी निकाली जाती है और ज्वालाजी से लाई गई जोत को वापस वहीं भेज दिया जाता है। हर साल यहां दो लाख से अधिक भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।


कैसे पहुंचे मंदिर


हवाई मार्ग - अगर आप हवाई यात्रा कर रहे हैं तो आपको इंदिरा गांधी इंटरनेशल एयरपोर्ट पर उतरना होगा। यहां से आप मेट्रो, ऑटो, टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते है।

रेल मार्ग - मंदिर के लिए आपको फरीदाबार रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। वहां से आप स्थानीय परिवहन या कैब के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग - फरीदाबाद में डीलक्स बसें और अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट विकल्प उपलब्ध है। आप स्थानीय बस या मेट्रो का उपयोग कर सकते हैं। 

डिसक्लेमर

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मंदिर