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खाटू श्याम को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार बताया गया है। खाटू श्याम भगवान के सिर्फ भारत में ही नहीं दुनियाभर में भक्त है। खाटू श्याम के वैसे कई मंदिर है। लेकिन उनका एक प्राचीन मंदिर हैं जिसे कलयुग में सर्वोत्तम तीर्थ माना गया है। जिसे चुलकाना धाम के नाम से जाना जाता है। यह हरियाणा राज्य के पानीपत के समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर की दूरी पर चुलकाना गांव में स्थित है।
चुलकाना धाम को कलिकाल का सर्वोत्तम तीर्थ माना गया है। श्याम बाबा के दर्शन के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत अन्य राज्यों से लाखों की तादाद में भक्त मंदिर में आकर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। चुलकाना धाम वह पवित्र स्थान है जहां बाबा ने शीश दान दिया था।
वर्ष 1989 में इस मंदिर के उद्धार हेतु कमेटी गठित की गई। यहां एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया। मंदिर में श्याम बाबा मनोहर दास जी की समाधि भी स्थित है। कहा जाता है कि बाबा मनोहर दास ने ही सबसे पहले श्याम बाबा की पूजा अर्चना की थी। वैरागी परिवार की 18वीं पीढ़ी मंदिर की देखरेख में लगी हुई है। मंदिर में एक कुंड भी बनाया गया है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भीम के पुत्र थे घटोत्कच जिनका विवाह दैत्य पुत्री कामकटंकटा के साथ हुआ था। उनके पुत्र हुआ जिसका नाम बर्बरीक रखा था। बर्बरीक को भगवान शिव और विजया माता के आशीर्वाद से कई अनोखी शक्तियां प्राप्त हुई थी। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने घोषणा की थी कि जो भी पक्ष हारेगा मैं उसकी तरफ से युद्द में शामिल हो जाऊंगा। तब श्री कृष्ण चिंतित हो गए और अर्जुन और श्रीकृष्ण उनकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए वहां उपस्थित हुए। तब बर्बरीक ने कृष्ण भगवान की आज्ञा के अनुसार, एक ही तीर से सारे पत्ते छेद दिए थए। तब तीर एक-एक करके सार पत्ते छेदता जा रहा था। तब एक पत्ता टूटकर नीचे गिरा गया। कृष्ण ने उसपर पैर रख लिया कि ये बच जाएगा। लेकिन, तीर कृष्ण भगवान के पैर के पास आकर रुक गया। बर्बरीक ने कहा कि प्रभु एक पत्ता आपके पैर के नीचे हैं मैंने तीर को सिर्फ पत्ते छेदने की आज्ञा दी थी। इसके बाद श्री कृष्ण चिंतित हो गए और फिर ब्राह्मण के वेश बनाकर सुबह बर्बरीक के शिविर के पास पहुंच गए और दान मांगने लगे। बर्बरीक ने कहा कि मांगो ब्राह्मण क्या चाहिए। कृष्ण ने कहा कि तुम दे न सकोगे। बर्बरीक कृष्ण के जाल में फंस गया और भगवान कृष्ण ने उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर श्री कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओंगे। तुम्हें कलयुग में लोग खाटू श्याम के नाम से जानेंगे। चुलकाना धाम में आज भी वह पीपल का पेड़ स्थित है जिसके सारे पत्ते खाटू श्याम ने एक ही तीर से छेद दिए थे।
श्याम बाबा के मंदिर में हर एकादशी को जागरम होता है। फाल्गुन माह के शुल्क पक्ष की एकादशी व द्वादशी को श्याम बाबा के दरबार में विशाल मेलों का आयोजन किया जाता है जिनमें दूर दराज से लाखों की तादात में भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं।
मंदिर में श्याम बाबा के अलावा, हनुमान, कृष्ण बलराम, शिव परिवार सहित अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है।
हवाई मार्ग - यहां का नजदीकी हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां से आप टैक्सी या स्थानीय परिवहन के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - चुलकाना धाम से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन भोडवाल माजरी और समालखा है। यहाँ पर उतरने के बाद आपको ऑटो रिक्शा से मंदिर जाना होगा।
सड़क मार्ग - आप देश के किसी भी कोने से यहां पहुंच सकते हैं। दिल्ली देश के सभी मुख्य मार्गों से जुड़ी है तो आ आराम से पहुंच सकते हैं।
मंदिर का समय - मंदिर हफ्ते में सातों दिन खुलता है। सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक फिर शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
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