व्रत खोलते समय मीठा क्यों खाते हैं?

व्रत का पारण मीठा खाकर ही क्यों करते हैं, मानसिक शांति से जुड़ा है कारण 


हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करने के साथ-साथ व्रत रखने की भी मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर व्रत रखा जाए, तो व्रत का पारण भी विधिवत रूप से करना महत्वपूर्ण माना जाता है। बिना व्रत के पारण के पूजा सफल नहीं मानी जाती है। इसलिए अगर आप अपने ईष्टदेव का पूजा कर रहे हैं, तो व्रत जरूर रखें और कथा अवश्य सुनें। इसके अलावा व्रत के नियमों को पालन विशेष रूप से करें। इससे व्यक्ति की मनचाही मुरादें पूरी हो सकती है और जीवन में आ रही समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है। अब ऐसे में व्रत का पारण मीठा खाकर ही क्यों करते हैं। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 


व्रत खोलते के दौरान मीठा ही क्यों खाते हैं? 


व्रत के दौरान व्यक्ति का शरीर भोजन से वंचित रहता है, जिससे शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है। मीठा पदार्थ, खासकर गुड़, शक्कर या फल, शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। यह ऊर्जा व्रत के बाद शरीर को सक्रिय करने में मदद करती है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि मीठा खाना भगवान को प्रिय होता है। 


व्रत के दौरान शरीर को शुद्ध करने के बाद मीठा भोजन खाने से यह माना जाता है कि व्यक्ति ने अपने आत्म-संयम और भक्ति को सिद्ध किया है। मीठा खाने से न केवल शरीर को ऊर्जा मिलती है, बल्कि मानसिक शांति और संतोष भी प्राप्त होता है। व्रत के दौरान एक लंबे समय तक किसी भी प्रकार का भोजन न करने के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाता है और मीठा खाने से संतुष्टि मिलती है। इसलिए व्रत पारण में मीठा खाना महत्वपूर्ण माना जाता है। 


व्रत का पारण करना क्यों है जरूरी ?


हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि व्रत करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और पुण्य अर्जित करता है। पारण के समय व्यक्ति विशेष मंत्रों का जाप करता है और दान करता है, जिससे यह पुण्य और भी अधिक बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, व्रत के दौरान आत्म-निर्माण और ईश्वर के प्रति विश्वास को मजबूत किया जाता है। पारण करने से मानसिक शांति मिलती है, और मनोबल को मजबूती मिलती है। धार्मिक दृष्टि से पारण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जीवन में सकारात्मकता का भी संचार होता है। इसके अलावा अगर आपने व्रत रखने से पहले कोई संकल्प लिया है, तो पारण करने से बाद व्यक्ति को सिद्धि प्राप्ति हो सकती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती है। 


व्रत का पारण करने के दौरान किन नियमों का पालन करें?


  • व्रत का पारण हमेशा अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।
  • पारण द्वादशी तिथि खत्म होने से पहले करना होता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जाए तो पारण सूर्योदय के बाद कर सकते हैं। 
  • पारण से पहले तुलसी दल का सेवन करना शुभ माना जाता है।
  • सूर्योदय के समय स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
  • पारण करने के बाद दान-पुण्य विशेष रूप से करें। इससे उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

डिसक्लेमर

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