ऊषा अर्घ्य : छठ पूजा का चौथा दिन

छठ पर्व के अंतिम दिन कमर तक पानी में खड़े होकर दिया जाता है सूर्य को अर्घ्य, इसके बाद है पारणा 


छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन, ऊषा अर्घ्य, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पल होता है। इस दिन, व्रती महिलाएं सूर्य देव को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं। पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या पारना कहा जाता है। 

यह छठ पर्व का समापन दिन होता है। ये पर्व मुख्य रुप से उत्तर भारत के राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लोग ही मनाते है। लोग देश के किसी भी कोने में हो वो छठ पर्व जरूर मनाते है। छठ का अंतिम दिन और भी रोमांचक होता है क्योंकि यह वह दिन होता है जब व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ स्वादिष्ट प्रसाद का आनंद लेते हैं।


ऊषा अर्घ्य की पूजा विधि


  • सूर्योदय की प्रतीक्षा: सप्तमी के दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी या तालाब के किनारे जाती हैं और सूर्योदय का इंतजार करती हैं।
  • अर्घ्य अर्पित करना: जैसे ही सूर्योदय होता है, व्रती महिलाएं कमर तक पानी में खड़े होकर, हाथ में जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
  • प्रार्थना: अर्घ्य देने के दौरान व्रती महिलाएं सूर्य देव से प्रार्थना करती हैं कि वे हमेशा स्वस्थ और खुश रहें।
  • भोग: अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं भोग लगाती हैं। भोग में फल, ठेकुआ, दूध आदि शामिल होते हैं।
  • पूजा समापन: पूजा समाप्त होने के बाद व्रती महिलाएं ब्राह्मणों को दान देती हैं और परिवार के सदस्यों से आशीर्वाद लेती हैं।
  • इसके बाद छठ माता से अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का आशीर्वाद मांगा जाता है।
  • नए कपड़े पहनना: इस दिन व्रती महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं।


ऊषा अर्घ्य का भोग


ऊषा अर्घ्य के दिन भोग में मुख्य रूप से फल, ठेकुआ, दूध और जल शामिल होता है। फल जैसे केला, अंगूर, सेब आदि को भोग में शामिल किया जाता है। ठेकुआ एक विशेष प्रकार का मिठाई है जो छठ पूजा के लिए बनाया जाता है।


कैसे करें व्रत का पारण


ऊषा अर्घ्य के बाद 36 घंटे से चले आ रहे छठ व्रत का पारणा किया जाता है। व्रत करने वाली महिलाएं कच्चे दूध का शरबत और थोड़ा प्रसाद लेकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारणा कहा जाता है। पारणा में खीर, आटे की पूड़ी, सब्जी और फल का प्रयोग किया जा सकती है।  खीर को दूध, चावल और चीनी से बनाया जाता है।

पारणा करते समय शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी होता है। पारणा के बाद ब्राह्मणों को दान दिया जाता है। पारणा के बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ भोजन करना चाहिए। 


सामान्य ध्यान देने योग्य बातें


  • स्वच्छता: पूजा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  • मिट्टी के बर्तन: पूजा के लिए मिट्टी के बर्तन का उपयोग करना चाहिए।
  • फूलों और पत्तों की सजावट: पूजा स्थल को सजाने के लिए ताजे फूलों और पत्तों का उपयोग किया जाता है।

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