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छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन, ऊषा अर्घ्य, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पल होता है। इस दिन, व्रती महिलाएं सूर्य देव को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं। पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या पारना कहा जाता है।
यह छठ पर्व का समापन दिन होता है। ये पर्व मुख्य रुप से उत्तर भारत के राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लोग ही मनाते है। लोग देश के किसी भी कोने में हो वो छठ पर्व जरूर मनाते है। छठ का अंतिम दिन और भी रोमांचक होता है क्योंकि यह वह दिन होता है जब व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ स्वादिष्ट प्रसाद का आनंद लेते हैं।
ऊषा अर्घ्य के दिन भोग में मुख्य रूप से फल, ठेकुआ, दूध और जल शामिल होता है। फल जैसे केला, अंगूर, सेब आदि को भोग में शामिल किया जाता है। ठेकुआ एक विशेष प्रकार का मिठाई है जो छठ पूजा के लिए बनाया जाता है।
ऊषा अर्घ्य के बाद 36 घंटे से चले आ रहे छठ व्रत का पारणा किया जाता है। व्रत करने वाली महिलाएं कच्चे दूध का शरबत और थोड़ा प्रसाद लेकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारणा कहा जाता है। पारणा में खीर, आटे की पूड़ी, सब्जी और फल का प्रयोग किया जा सकती है। खीर को दूध, चावल और चीनी से बनाया जाता है।
पारणा करते समय शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी होता है। पारणा के बाद ब्राह्मणों को दान दिया जाता है। पारणा के बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ भोजन करना चाहिए।
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