March 2025 Upanayana Muhurat: मार्च में करना चाहते हैं उपनयन संस्कार? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है। उपनयन शब्द का अर्थ है "अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना"। यह संस्कार बालक को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। मान्यताओं के अनुसार उपनयन संस्कार के बाद ही बालक धार्मिक कार्यों में भाग ले सकता है। उपनयन संस्कार के दौरान बालक को एक पवित्र धागा धारण कराया जाता है जिसे जनेऊ कहा जाता है। जनेऊ को पुरुष अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहनते हैं। इसमें तीन सूत्र होते हैं, जो त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश से जुड़े होते हैं। ऐसे में जनेऊ की शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। अशुद्ध होने या भी खो जाने की स्थिति में नया जनेऊ धारण करना चाहिए। जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसे में अगर आप भी जनेऊ धारण या उपनयन संस्कार करना या किसी के लिए करवाने के लिए सोच रहे हैं तो उपनयन मुहूर्त मार्च 2025 के बारे में इस लेख में विस्तार से जानकारी दी गई है।
मार्च 2025 जनेऊ संस्कार मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 1, 2, 14, 15, 16 और 31 मार्च 2025 के इन दिनों को जनेऊ संस्कार के लिए शुभ माना गया है। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
- 1 मार्च 2025 को सुबह 07:17 बजे से 09:20 बजे तक
- 1 मार्च 2025 को सुबह 10:58 बजे से 05:20 बजे तक
- 2 मार्च 2025 को सुबह 07:16 बजे से 09:14 बजे तक
- 2 मार्च 2025 को सुबह10:54 बजे से 05:23 बजे तक
- 14 मार्च 2025 को दोपहर 02:17 बजे से 06:50 बजे तक
- 15 मार्च 2025 को सुबह 07:03 बजे से 11:54 बजे तक
- 15 मार्च 2025 को दोपहर 02:13 बजे से 06:50 बजे तक
- 16 मार्च 2025को सुबह 07:01 बजे से 11:55 बजे तक
- 16 मार्च 2025 को दोपहर 02:09 बजे से 06:43 बजे तक
- 31 मार्च 2025 को सुबह 07:29 बजे से 09:00 बजे तक
- 31 मार्च 2025 को सुबह10:58 बजे से 03:30 बजे तक
उपनयन संस्कार का महत्व
जनेऊ हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। इसके तीन धागे त्रिमूर्ति के साथ-साथ देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनेऊ की विशेषता यह है कि यह जीवन के विभिन्न आयामों को जोड़ता है। यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य गुणों को दर्शाता है। साथ ही यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य उद्देश्यों को दर्शाता है। जनेऊ की प्रत्येक जीवा में तीन तार होते हैं जो कुल नौ तारों का निर्माण करते हैं।
यह जीवन के नौ मुख्य तत्वों को दर्शाता है जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाते हैं। जनेऊ में पांच गांठें रखी जाती हैं जो जीवन के पांच मुख्य उद्देश्यों को दर्शाती हैं। यह ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती है जो जीवन के पांच मुख्य आयामों को दर्शाती हैं। जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है जो जीवन के 96 मुख्य तत्वों को दर्शाती है। यह हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन्हें संतुलित करने के लिए प्रेरित करती है।
उपनयन संस्कार क्यों किया जाता है?
उपनयन संस्कार लड़के को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
यह संस्कार लड़के को ज्ञान और शिक्षा की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
उपनयन संस्कार लड़के को जिम्मेदारी और कर्तव्य की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
यह संस्कार लड़के को पवित्र और शुद्ध जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
उपनयन संस्कार लड़के को समाज में सम्मान और स्थान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।