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हिन्दू परंपराओं में हर दिन सुबह शाम घरों में पूजा पाठ और संध्या आरती की जाती है। अपने इष्ट देव सहित सभी देवताओं की कृपा हम पर बने रहे इसके लिए पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्रों में पूजा-अर्चना के कई फायदे और नियम बताए गए हैं। इन नियमों में पूजा विधि, सामग्री और पूजन के समय का विशेष उल्लेख किया गया है। विशेष पूजन के समय को लेकर मुहूर्त देखा जाता है लेकिन घर में हर रोज पूजा पाठ के लिए भी समय नियत किया गया है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार यह भी कहा गया है कि असमय किए गए पूजा-पाठ के विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।
शास्त्रों के मुताबिक पूजा के लिए सबसे उत्तम समय प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त को माना गया है। इस समय की गई पूजा से ईश्वर प्रसन्न होते हैं। ब्रह्म का अर्थ होता है परम तत्व या परमात्मा। इसलिए हमें परमात्मा की प्राप्ति के लिए सूर्योदय होने से पहले जागना चाहिए और पूजा पाठ करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त रात्रि का आखिरी पहर यानी सुबह चार बजे से साढ़े पांच बजे तक रहता है।
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