विनायक चतुर्थी पर रवि योग समेत बन रहे हैं कई संयोग
पंचांग के अनुसार पौष माह में साल 2025 की पहली विनायक चतुर्थी 03 जनवरी को मनाई जाएगी। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 03 जनवरी को देर रात 01 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, चतुर्थी तिथि का समापन 03 जनवरी को रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साधक विशेष कार्य में सफलता पाने के लिए चतुर्थी तिथि पर व्रत भी रखते हैं। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में भी वर्णित है। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलता है। बड़ी संख्या में भक्तगण चतुर्थी तिथि पर देव दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो इस बार विनायक चतुर्थी पर रवि योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। आइए जानते हैं
विनायक चतुर्थी शुभ योग
रवि योग
पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार रवि योग बहुत ही शुभ होता है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही करियर और कारोबार को नया रास्ता मिलता है। अगर आप भगवान गणेश की कृपा पाना चाहते हैं, तो रवि योग में गणपति बप्पा की पूजा अवश्य करें। विनायक चतुर्थी पर रवि योग सुबह 07 बजकर 14 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 22 मिनट तक है।
सिद्धि योग
रवि योग के साथ ही विनायक चतुर्थी के दिन सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। बता दें कि सिद्धि योग दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रहा है, जो रात्रि भर है। इसके अलावा धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र का भी संयोग है। आकाश मंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा 23वें स्थान पर आता है। यह नक्षत्र चार तारों से मिलकर बना हुआ है। यह नक्षत्र भी धन एवं वैभव को दर्शाता है। वहीं शतभिषा, नक्षत्रों में 24वाँ नक्षत्र है। इस नक्षत्र को शततारा भी कहते हैं यानी 100 तारों वाला नक्षत्र। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुखों का आगमन होगा।