आस्था और विश्वास का केंद्र हैं राजस्थान के ये प्रसिद्ध देवी मंदिर, जानिए क्या है इनका इतिहास

नवरात्रि के पर्व के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों देवी के दर्शन और विधिपूर्वक पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है। राजस्थान में स्थित देवी भगवती के कई प्रसिद्ध मंदिर ना केवल आस्था के केंद्र हैं बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। तो आइए जानते हैं राजस्थान के इन 06 प्रमुख दुर्गा मंदिरों के बारे में ……


करणी माता मंदिर, बीकानेर:


करणी माता मंदिर जिसे चूहों वाली माता के नाम से भी जाना जाता है ये राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। इस मंदिर में चूहों की भारी संख्या होने के कारण इसे रैट टेम्पल भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां माता के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ देखी जाती है। माना जाता है कि इस मंदिर की प्रसिद्धि के पीछे देवी की चमत्कारी शक्तियां हैं। जिनके प्रभाव से भक्तों की सभी परेशानियों का समाधान होता है।


तनोट माता मंदिर (जैसलमेर):


तनोट माता मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में पाकिस्तानी सीमा के निकट स्थित है। यह मंदिर 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी चमत्कारी रूप से सुर्खियों में रहा था। उस युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने मंदिर पर 3000 से अधिक बम गिराए थे लेकिन किसी भी बम से मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इसलिए, आज भी इस मंदिर को तनोट माता के चमत्कारों का जीवंत प्रमाण माना जाता है। नवरात्रि के समय यहां भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं।


शिला देवी मंदिर (जयपुर):


देवी दुर्गा को समर्पित शिला देवी मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर में आमेर किले के अंदर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने करवाया था। राजा मान सिंह के बंगाल युद्ध में हारने के बाद जेसोर के राजा ने उन्हें एक काले पत्थर की पटिया भेंट की थी। जिसमें देवी दुर्गा की छवि उभरी थी। इसी कारण नवरात्रि के समय इस मंदिर में एक विशेष मेला आयोजित होता है। यहां भक्त अखंड ज्योति जलाकर माता की पूजा करते हैं और उत्साहपूर्वक देवी की आराधना में लीन रहते हैं।


आशापूरा माता मंदिर (पाली):


राजस्थान के पाली जिले के नाड़ोल गांव में स्थित आशापूरा माता मंदिर राजस्थान का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसे चौहान राजवंश की कुलदेवी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इसी कारण इसे आशापूरा कहा जाता है। नवरात्रि के पावन अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु यहां माता के चरणों में अपनी मनोकामनाएं रखते हैं और उनके जीवन की सभी बाधाओं का निवारण होता है।


जीण माता मंदिर (सीकर):


जीण माता मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह मंदिर लोकदेवी जीण माता को समर्पित है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वह सैकड़ों वर्ष पहले एक राजकन्या थीं। वह अपनी भाभी के दुर्व्यवहार से त्रस्त होकर आजीवन अविवाहित रहने और कठोर तपस्या करने का संकल्प लेकर देवी के रूप में प्रतिष्ठित हो गईं। नवरात्रि के दौरान यहां भक्त बड़ी संख्या पूजा करने आते हैं। 


अंबिका पीठ (विराटनगर):


राजधानी जयपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर विराटनगर में माता अंबिका का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यहां मां सती के बाएं पैर की अंगुलियां गिरी थीं। जिससे इस शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी। यहां माता सती अंबिका के रूप में और भगवान शिव अमृतेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं। साल में दो बार यानी अप्रैल (चैत्र मास) और सितंबर-अक्टूबर (अश्विन मास) में नवरात्रि के दौरान यहां देवी दुर्गा के 09 रूपों की पूजा होती है।



राजस्थान का आध्यात्मिक महत्व


राजस्थान अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह राज्य भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यहां कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद भी हैं। देवी भगवती के मंदिरों का यहां विशेष स्थान है। नवरात्रि के पावन अवसर पर इन मंदिरों में जाकर श्रद्धालु अपनी आस्था प्रकट करते हैं और देवी की कृपा प्राप्त करते हैं। चाहे वह बीकानेर का करणी माता मंदिर हो या जैसलमेर का तनोट माता मंदिर, हर स्थान की अपनी विशेष मान्यता और आस्था है। नवरात्रि में इन मंदिरों के दर्शन करने का अपना विशेष महत्व है और हजारों श्रद्धालु यहां देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। यदि आप नवरात्रि के दौरान राजस्थान की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो इन मंदिरों का दौरा अवश्य करें और देवी भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करें।


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