आचमन क्यों करते हैं?

पूजा करने से पहले आचमन क्यों करते हैं? जानिए इसे करने की पूरी प्रक्रिया 


पूजा-पाठ से लेकर विशेष अनुष्ठान एवं हवन इत्यादि सभी तरह की पूजा में आचमन आवश्यक है। आचमन का शाब्दिक अर्थ है ‘मंत्रोच्चारण के साथ  जल को ग्रहण करते हुए शरीर, मन और हृदय को शुद्ध करना।’ शास्त्रों में आचमन की विभिन्न विधियों के बारे में बताया गया है। आचमन किए बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है। इतना ही नहीं आचमन करने से पूजा का दोगुना फल भी प्राप्त होता है। विधि व नियम से किया गया आचमन पूर्ण होता है और पूजा पूर्ण होती है। तो आइए इस आलेख में विस्तार से जानते हैं आचमन के महत्व और इसकी विधि। 



जानिए आचमन करने का महत्व


स्मति ग्रंथ में आचमन के महत्व के बारे में बताया गया है। आचमन करके जलयुक्त दाहिने अंगूठे से मुंह को स्पर्श कराने से अथर्ववेद की तृप्ति होती है। आचमन करने के बाद मस्तक अभिषेक कराने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है और आचमन करने के बाद दोनों आंखों को स्पर्श कराने से सूर्य, नासिका (नाक) के स्पर्श से वायु और कानों के स्पर्श से सभी ग्रंथियां तृप्त होती हैं। इसलिए पूजा के पहले आचमन करने का विशेष महत्व होता है।



क्या होती है आचमन की प्रक्रिया? 


  1. सबसे पहले पूजा से संबंधित सभी सामग्रियों को पूजा स्थल पर एकत्रित करें।
  2. अब एक तांबे के बर्तन में पवित्र गंगाजल भर लें।
  3. इसके बाद लोटे में छोटी सी आचमनी यानी तांबे की छोटी चम्मच को भी जरूर रखें। 
  4. जल में तुलसी दल अवश्य रखें।
  5. अब भगवान का ध्यान करते हुए आचमनी से थोड़ा जल निकालकर अपनी हथेली पर रखें। 
  6. मंत्रोच्चार के साथ इस पवित्र जल ग्रहण करें, ये प्रकिया तीन बार दोहराएं। 
  7. जल ग्रहण करने के बाद अपने हाथ को माथे और कान से जरूर लगाएं।
  8. यदि किसी कारणवश आप आचमन करने में असमर्थ हैं। तो ऐसी स्थिति में दाहिने कान के स्पर्श मात्र से भी आचमन की विधि पूरी की जा सकती जाती है।



क्या होनी चाहिए आचमन की दिशा?


आचमन के दौरान दिशा का भी महत्व होता है। इस दौरान आपका मुख उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। इसके अलावा किसी अन्य दिशा में किया गया आचमन निरर्थक होता है। 


आचमन में इस मंत्र का करें जाप

  • ॐ केशवाय नम:
  •  ॐ नाराणाय नम:
  • ॐ माधवाय नम:
  • ॐ हृषीकेशाय नम:  
  • इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए अंगूठे से मुख पोछ लें और ॐ गोविंदाय नमः मंत्र बोलकर हाथ धो लें। बता दें कि, इस विधि से किया गया आचमन पूर्ण होता है और पूजा संपन्न मानी जाती है।

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