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पितृपक्ष का पुनपुन कनेक्शन:15 दिन में ही रुकती है ट्रेन

जानिए क्या है पितृपक्ष का पुनपुन कनेक्शन, यहां साल में सिर्फ 15 दिन रुकती है ट्रेन 


बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन एक अद्वितीय रेलवे स्टेशन है, जहां साल के केवल 15 दिनों तक ही ट्रेनें रुकती हैं। यह विशेष ठहराव पितृपक्ष के अवसर पर होता है, जब देश-विदेश से लाखों तीर्थ यात्री इस स्टेशन से होकर पुनपुन नदी के तट पर अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करने आते हैं। बाकी के दिनों में यह स्टेशन वीरान रहता है, और यहां कोई ट्रेन नहीं रुकती। पितृपक्ष के पहले दिन पुनपुन नदी में स्नान और तर्पण करने की परंपरा है, जो इस स्टेशन की महत्ता को विशेष बनाती है।


पुनपुन नदी और पितृपक्ष का महत्व


पुनपुन नदी को आदिगंगा कहा जाता है और इसे हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना गया है। पितृपक्ष के दौरान पिंडदान करने का पहला चरण इस नदी के तट पर ही होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने भी अपने पिता राजा दशरथ का प्रथम पिंडदान यहीं किया था। यही कारण है कि हर साल पितृपक्ष के दौरान लाखों श्रद्धालु इस पुनपुन नदी के तट पर पहुंचते हैं और अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। पुनपुन नदी झारखंड के पलामू से निकलती है और पटना जिले में आकर गंगा नदी में मिल जाती है। इस नदी का जल हमेशा स्वच्छ और पवित्र माना जाता है, और यह श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।


अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन 


अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन की खासियत यह है कि यहां साल भर कोई ट्रेन नहीं रुकती, लेकिन पितृपक्ष के दौरान 15 दिनों तक यह स्टेशन तीर्थ यात्रियों के लिए मुख्य प्रवेश द्वार बन जाता है। इस दौरान भारतीय रेलवे द्वारा विशेष ट्रेन सेवाएं चलाई जाती हैं ताकि देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। यह स्टेशन, पुनपुन घाट के निकट स्थित है, जहां पिंडदान और तर्पण की प्रमुख रस्में संपन्न होती हैं। इस अवसर पर स्टेशन के आसपास की जगहें भी जीवंत हो उठती हैं, और स्थानीय प्रशासन द्वारा यहां विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं।


पितृपक्ष के दौरान विशेष तैयारियां


पितृपक्ष के दिनों में अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन पर रेलवे, प्रशासन और स्थानीय लोग विशेष तैयारियां करते हैं। यहां उतरने वाले तीर्थ यात्री सीधे पुनपुन घाट की ओर जाते हैं, जहां वे अपने पूर्वजों को पिंडदान और तर्पण की रस्में पूरी करते हैं। इसके लिए घाट के आसपास सुरक्षा के इंतजाम और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। तीर्थ यात्रियों की बड़ी संख्या को देखते हुए अस्थायी टिकट काउंटर, शौचालय, और स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं।


पुनपुन नदी: पिंडदान का प्रथम द्वार


पुनपुन नदी को हिंदू धर्म में पिंडदान के लिए सबसे पवित्र स्थल माना गया है। पुनपुन पांडा समिति के पूर्व अध्यक्ष तारिणी मिश्रा के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पहला पिंडदान पुनपुन नदी के तट पर ही किया जाता है। मान्यता है कि यह नदी "पुनः पुनः सर्व नदीषु पुण्या" है, जिसका अर्थ है कि यह हमेशा पवित्र और शुभ फल देने वाली नदी है। यही कारण है कि हिंदू धर्म के अनुयायी सबसे पहले यहीं पिंडदान करते हैं, उसके बाद ही वे गया या अन्य पवित्र स्थानों पर जाते हैं।


पुनपुन घाट का इतिहास और मान्यता


पुनपुन घाट का धार्मिक महत्व बहुत प्राचीन है। कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का प्रथम पिंडदान इसी स्थान पर किया था। इस वजह से पुनपुन नदी का पिंडदान के लिए अत्यधिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति और शांति प्रदान करने के लिए पिंडदान और तर्पण करना आवश्यक है, और पुनपुन घाट इस प्रक्रिया का पहला पड़ाव होता है। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं और पिंडदान की रस्में पूरी करते हैं।



कैसे पहुंचे अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन?


अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन, बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है, और यह पुनपुन नदी के तट के पास है। पटना से इस स्टेशन तक पहुंचने के लिए बस या ट्रेन का उपयोग किया जा सकता है। पितृपक्ष के दौरान रेलवे विशेष ट्रेनों का संचालन करती है, जो स्टेशन पर रुकती हैं। अन्य समय में यहां कोई ट्रेन नहीं रुकती। इसलिए सड़क मार्ग से भी श्रद्धालु आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।


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