Navratri 2025: साल में चार बार क्यों आती है नवरात्रि, जानिए रहस्य और इसका आध्यात्मिक, वैज्ञानिक एवं धार्मिक महत्व
नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाई जाती है—चैत्र, आषाढ़, अश्विन और पौष माह में. इनका संबंध केवल देवी उपासना से नहीं बल्कि ऋतु परिवर्तन, ऊर्जा संतुलन और साधना के विशेष काल से भी है. भक्त वत्सल इस लेख के माध्यम से आपको बता रहा है कि इन चारों नवरात्रियों का धार्मिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है? जानिए विस्तार से.
नवरात्रि उत्सव नहीं, आध्यात्मिक चक्र
- नवरात्रि केवल देवी की पूजा का समय नहीं, बल्कि साधकों के लिए शक्ति संचय, आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर भी होता है.
- भारत में मुख्य रूप से दो नवरात्रियां (चैत्र और आश्विन) धूमधाम से मनाई जाती हैं, जबकि आषाढ़ और पौष की नवरात्रियों को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है.
- ऋतु परिवर्तन का समय न केवल मौसम में बदलाव लाता है, बल्कि प्रकृति में ऊर्जा प्रवाह को भी प्रभावित करता है.
चारों नवरात्रियों का समय और महत्व
- चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल): हिंदू नववर्ष की शुरुआत, राम नवमी और आत्मशुद्धि का समय.
- आषाढ़ नवरात्रि (जून-जुलाई): गुप्त साधना, तांत्रिक अनुष्ठान और आत्मिक उन्नति का काल.
- आश्विन नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर): विजयदशमी का उत्सव, देवी की उपासना और सामाजिक अनुष्ठानों का समय.
- पौष नवरात्रि (दिसंबर-जनवरी): गुप्त साधना, महाविद्याओं की पूजा और आध्यात्मिक सिद्धियों की प्राप्ति का अवसर.
नवरात्रि का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
- नवरात्रि केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है. यह जीवन में संतुलन, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा लाने का अवसर है.
- देवी दुर्गा की उपासना से मनोबल, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
- उपवास और मंत्र जाप से शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में मदद मिलती है.