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छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से 5 दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के ऊंचे स्थान पर, दूसरा रसोई में, तीसरा पीने का पानी रखने की जगह पर, चौथा पीपल के पेड़ के तने और पांचवा घर के मुख्य द्वार पर जलाना सबसे उचित माना गया है।
दीपावली पांच दिनों का त्योहार है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर खत्म होता है। ऐसे में सभी लोग लक्ष्मी माता के आगमन के लिए अपने घर की साफ-सफाई और साज-सजावट करते हैं। कहा जाता है कि जब भगवान राम रावण का वध कर सीता माता के साथ वापस अयोध्या लौटे थे। तब प्रभु श्रीराम और सीता माता के आगमन की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर पूरी अयोध्या नगरी को जगमग कर दिया था। ऐसे ही छोटी दिवाली पर भी जब भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया तो खुशियां मनाई गई। छोटी दिवाली पर भी दीपक लगाने का खास महत्व माना जाता है। आइये इस लेख में जानते हैं कि छोटी दिवाली पर में कितने दीपक लगाना चाहिए और इन्हें घर में कहां-कहां रखना चाहिए।
छोटी दिवाली का पावन त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 01 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी और 31 अक्टूबर को दोपहर में 03 बजकर 52 मिनट तक जारी रहेगी। दरअसल, छोटी दिवाली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण चतुर्दशी की रात में मनाया जाता है। ऐसे में 30 अक्टूबर के दिन ही छोटी दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा।
राहुकाल के समय शुभ कार्य या पूजा नहीं करनी चाहिए। छोटी दिवाली के दिन राहुकाल दोपहर 01:27 बजे से दोपहर 02:50 बजे तक तक रहेगा।
वैसे तो छोटी दीपावली के दिन मुख्य रूप से 5 दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के ऊंचे स्थान पर जलाएं। इसके अलावा दूसरा दीया रसोई में, तीसरा दीया पीने का पानी रखने की जगह पर, चौथा दीया पीपल के पेड़ के तने पर और पांचवा दीया घर के मुख्य द्वार पर जलाना सबसे उचित माना गया है।
इनके अलावा घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाने वाला दीया 4 मुंह वाला होना चाहिए। इन 5 दीपों के अलावा यदि आप और दीये जलाना चाह रहे हैं तो आप 7, 13, 14 या 17 की संख्या में दीपक जला सकते हैं। बहुत से लोग छोटी दिवाली के दिन 14 दीपक भी जलाते हैं। भारत के कई राज्यों में अलग-अलग मान्यताएं हैं। कई जगह सम संख्या में दीये जलाए जाते हैं, तो बहुत सी जगह विषम संख्या में दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
हालांकि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि आप किस जगह पर किस के लिए दीपक जला रहे हैं। सातवां दीया किसी मंदिर में जलाकर रख दें। आठवां दीया घर में कूड़ा कचरा रखने वाले स्थान पर जलाएं। नौवां दीया घर के बाथरूम में जलाते हैं। दसवां दीया घर की छत की मुंडेर पर जलाते हैं। ग्यारहवां दीया घर की छत पर जलाते हैं। बारहवां दीया घर की खिड़की के पास जलाते हैं। तेरहवां दीया घर की सीढ़ियों या बरामदे पर जलाते हैं। चौदहवां दीया रसोई में या जहां पानी रखते हैं, जिसे पंडेरी कहा जाता है वहां जलाकर रखते हैं।
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