आखिर हिंदू धर्म में क्यों लगाया जाता है तिलक, जानें धार्मिक-वैज्ञानिक महत्व और फायदे
सनातन धर्म को मानने वाले यह जानते हैं कि हमारे धर्म में सम्मान स्वरूप, आदर स्वरूप, शुभ कार्य की शुरुआत और ऐसे कई मौकों पर माथे पर तिलक लगाने की परंपरा है। माथे पर लगाया जाने वाला यह एक छोटा-सा चिह्न हमारे पूजा-पाठ और धार्मिक अवसरों पर निभाई जाने वाली मुख्य परंपराओं का हिस्सा है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका कारण क्या है। तिलक क्यों लगाया जाता है और सनातन धर्म के अनुसार इसका क्या महत्व है। भक्त वत्सल के धर्म ज्ञान सीरीज के इस एपिसोड में जानते हैं कि सनातन परंपरा में माथे पर तिलक क्यों लगाया जाता है और इसका महत्व क्या है।
तिलक लगाने का धार्मिक महत्व
तिलक लगाना हिंदू परंपरा का एक विशेष कार्य है। इसके बिना पूजा की अनुमति नहीं होती है और ना ही पूजा को संपन्न माना जाता है। तिलक लगाना हमारी धार्मिक पहचान का प्रतीक है। आमतौर पर तिलक लगाने के लिए कुमकुम, रोली, पीला व सफेद चंदन, हल्दी या भस्म का इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय परंपरा के अनुसार तिलक लगाना सम्मान का सूचक है। साथ ही यह सकारात्मकता का भी प्रतीक है। इससे कुंडली में मौजूद उग्र ग्रह शांत होते हैं।
शास्त्रों के मुताबिक तिलक लगाने से घर में अन्न-धन की कमी नहीं रहती और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। तिलक लगाने से यश बढ़ता है और पापों का नाश होता है। यह नकारात्मक दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है।
तिलक लगाने में उंगलियों का महत्व
किसी उंगली से तिलक लगाना चाहिए। इसका भी खास महत्व है। ऐसे में अब जानिए किस उंगली से तिलक लगाने का क्या फल मिलता है।
स्कंदपुराण के अनुसार अलग-अलग अंगुली से तिलक लगाने का फल भी अलग-अलग मिलता है। इसके संदर्भ में यह श्लोक अपने आप में साक्ष्य है।
अनामिका शांतिदा प्रोक्ता मध्यमायुष्करी भवेत्।
अंगुष्ठः पुष्टिदः प्रोक्ता तर्जनी मोक्षदायिनी।।
अर्थात- अनामिका से तिलक करने पर शांति, मध्यमा से आयु, अंगूठे से स्वास्थ्य और तर्जनी से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दिनों के अनुसार तिलक का महत्व
- सोमवार के दिन सफेद चंदन का तिलक लगाने से मन शांत रहता है।
- मंगलवार के दिन चमेली के तेल में सिंदूर घोलकर तिलक लगाना शुभ होता है।
- बुधवार के दिन सूखे सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए।
- गुरुवार के दिन पीले चंदन या हल्दी का तिलक लगाना सुख-समृद्धि देता है।
- शुक्रवार के दिन लाल चंदन या कुमकुम का तिलक घर को खुशहाली से भर देता है।
- शनिवार के दिन भस्म का तिलक सभी परेशानियां दूर करता है।
- रविवार के दिन लाल चंदन का तिलक जीवन में मान-सम्मान और धन-वैभव की प्राप्ति में सहायक होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तिलक लगाना क्यों लाभदायक
माथे की दोनों भोहों के बीच सुषुम्ना, इड़ा और पिंगला नाड़ियों के ज्ञानतंतुओं का केंद्र मस्तिष्क ही है जो सीधे मस्तिष्क से जुड़ा हुआ है। इसे दिव्य नेत्र या तृतीय नेत्र का केंद्र भी कहा जाता है। इसी स्थान पर तिलक लगाया जाता है जो आज्ञाचक्र को ऊर्जा देने और जागृत करने में मदद करता है।
इससे व्यक्ति का ओज और तेज बढ़ता है। इसी लिए सनातन धर्म में ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने की परंपरा है। यह मस्तिष्क को शीतलता, तरावट व शांति देता है। इससे सिर दर्द नहीं होता, याददाश्त बढ़ती है, मन निर्मल होता है, विवेकशीलता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
तिलक लगाने के नियम और लाभ
तिलक लगाने के कुछ नियम हैं। जैसे- बिना स्नान किए तिलक न लगाएं। स्वयं से पहले अपने आराध्य ईष्ट देव को तिलक लगाएं। यह कार्य नियमित करें तो लाभप्रद होता है।
कौन सा तिलक लगाने से क्या फायदा
- चंदन का तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है।
- रोली और कुमकुम का तिलक आकर्षण बढ़ाता है और आलस्य दूर होता है।
- केसर का तिलक यश बढ़ाता है और काम पूरे होते हैं।
- गोरोचन का तिलक जीवन में विजय दिलवाने वाला है।
- अष्टगंध का तिलक विद्या और बुद्धि देता है।
ग्रहों के हिसाब से तिलक
सूर्य - अनामिका अंगुली से लाल चंदन का तिलक लगाएं।
चंद्रमा - सफेद चंदन का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं।
मंगल - नारंगी सिंदूर का तिलक अनामिका अंगुली से लगाएं।
बुध - अष्टगंध का तिलक कनिष्ठा अंगुली से लगाएं।
बृहस्पति - केसर का तिलक तर्जनी अंगुली से लगाने से यह ग्रंथ शांत होता है।