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इस सृष्टि के समस्त धन और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री माता लक्ष्मी को पवित्रता और निर्मलता की देवी भी कहा जाता है। जहाँ माता लक्ष्मी का निवास होता है वह स्थान पवित्रता से परिपूर्ण होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार घर में माता लक्ष्मी के वास हेतु गलत कार्यों से दूर रहकर खुद को अच्छे कार्यों में व्यस्त रखना चाहिए। माता लक्ष्मी सिर्फ उन्हीं स्थानों पर वास करती हैं जहां पवित्रता रहती है। जिस व्यक्ति का ह्रदय निश्छल और पवित्र रहता है उस स्थान पर माता का वास और उनकी कृपा सदैव बनी रहती है। आपने मैया को हमेशा कमल के फूल पर विराजमान देखा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं मैया को कमल का फूल इतना प्रिय क्यों है? तो चलिए आज जानते हैं कमलासन पर बैठी मैया लक्ष्मी से जुड़े इस तथ्य के बारे में विस्तार से, साथ ही जानेंगे कि मैया का कमल का पुष्प अर्पित करने से क्या-क्या फायदा हो सकते हैं।
लक्ष्मी जी को कमल का पुष्प इतना प्रिय क्यों है इसे लेकर विष्णु पुराण की कथा में वर्णन मिलता है कि कमल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के सिर से हुई है, वहीं कुछ कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु की नाभी से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई तो उनके साथ कमल का पुष्प भी उत्प्न्न हुआ जिस पर ब्रह्मदेव विराजमान थे। इसलिए इन कथाओं के अनुसार कमल की उत्पत्ति श्री हरि विष्णु से हुई है और भगवान विष्णु से जुड़ी हर एक वस्तु मां लक्ष्मी का प्रिय होना स्वाभिवक है, इसी वजह से माता लक्ष्मी का कमल पुष्प प्रिय है। वहीं एक दूसरी कथा में ये भी जानकारी मिलती है कि समुद्र मंथन के समय जब माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था तो कमल पर ही विराजमान थीं और अपने प्राक्ट्य के समय वे जिस पुष्प पर विराजमान रहीं उन्होंने उसे ही अपना सबसे प्रिय पुष्प बना लिया। दोनों मुख्य पौराणिक कथाओं में कमल का पुष्प लक्ष्मी और नारायण के साथ रहा है इसलिए ही मां लक्ष्मी को कमल का पुष्प अति प्रिय है।
इसके अलावा कमल के फूल को दिव्य फूल भी माना जाता है। इस दिव्य पुष्प का निर्माण सभी देवी देवताओं ने एक साथ मिलकर किया था। कमल का फूल माता लक्ष्मी का आसान माना जाता है एवं कमल का फूल माता लक्ष्मी जी को अतिप्रिय भी है। शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि जिस प्रकार कमल के पुष्प पर बैठी माता लक्ष्मी जरा भी घमंड नहीं करतीं। ठीक उसी तरह मनुष्य को भी धन की प्राप्ति हो जाने पर घमंड नहीं करना चाहिए।
यह माना जाता है कि माता लक्ष्मी जी की पूजा में कमल का फूल अर्पित करने से एवं कमल के फूल की माला बनाकर माता लक्ष्मी जी को पहनाने से माता बहुत ही प्रसन्न होती हैं। कमल के फूल की अलग-अलग पंखुड़ी करके चारों तरफ बिखेर देने से उस घर में चारों तरफ माता लक्ष्मी का आगमन वास रहता है। कमल के दाने जिसको कमल गट्टा बोलते हैं, जो कमल के फूल से ही बनते हैं उस कमल गट्टे की माला बनाकर लक्ष्मी जी को पहनाने से और अग्नि प्रज्वलित करके कमल गट्टा को घी में डुबोकर आहुति करने से माता लक्ष्मी को बहुत प्रसन्नता होती है और इसलिए ही माता लक्ष्मी जी के हवन में कमलगट्टे की आहूति देने का विधान है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता लक्ष्मी जी का एक नाम कमला या कमलासना भी है। जिसका अर्थ है, कमल के ऊपर विराजमान होने वाली। शास्त्रों में माता लक्ष्मी जी के 1008 नामों में अधिकतर कमल पर आधारित हैं। कमल के फूल की विशेषता यह भी है कि वह स्वयं कीचड़ में उत्पन्न होता है मगर इसके बावजूद पवित्र रहता है। इसी प्रकार मां लक्ष्मी को कमल अर्पित करने वाले भक्त भी संसार में व्याप्त बुराइयों के बीच रहकर भी निर्मल बुद्धि के बने रहकर जीवन यापन करते हैं।
जिस मनुष्य की बुद्धि निर्मल और शुद्ध रहती है देवी लक्ष्मी की कृपा भी उसी पर होती है। कमल का पुष्प नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है। भक्त देवी लक्ष्मी को कमल के पुष्प अर्पित करते हैं तो उन्हें पापों से मुक्ति मिल जाती है। भगवान विष्णु के हाथों में जहां शंख, चक्र, गदा दिखाई देती है, वहीं उनके हाथ में कमल का फूल भी नजर आता है ।
कमल के फूल की एक और खासियत है कि यह नकारात्मकता को समाप्त करने की क्षमता रखता है और माता लक्ष्मी जी को अर्पित करने से घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता। यदि घर में कोई नकारात्मक ऊर्जा है, तो वह भी कमल के फूल के जरिए समाप्त हो जाती है। कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति को सीमित या पर्याप्त धन मिले और वह व्यक्ति और अधिक धन की लालसा रखता हो तो उसका पतन होना शुरु हो जाता है। कमल का फूल भी इसी बात का संदेश देता है जो अपनी सुंदरता और कोमलता के लिए मशहूर है। कीचड़ में खिलने के बाद भी वह अपने ऊपर गंदगी हावी नहीं होने देता। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी का निवास कमल पर होता है। यही सब कारण है कि लक्ष्मी पूजा में कमल का फूल अर्पित करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्त को धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
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