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आईए जानते हैं मन और माँ के कारक ग्रह चंद्रमा के बारे में, Aaiye jaante hain man aur Maa ke kaarak grah chandrama ke baare mein

चंद्रदेव जिन्हें हम शशि, रजनीश और बच्चे चंदा मामा के नाम से भी जानते हैं। खगोलीय दृष्टि से ये पृथ्वी के उपग्रह हैं और पृथ्वी से काफी नजदीक हैं। नवग्रहों में चन्द्रमा अत्यंत ही महत्वपूर्ण है क्यूंकि ये मन के कारक ग्रह हैं और कहते हैं कि मन के हारे हार हैं और मन के जीते जीत तो स्पष्ट है कि अगर चन्द्रमा अच्छा है तो आपकी मानसिक स्तिथि अच्छी रहेगी और निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होगी। चन्द्रमा जल के प्रतीक भी हैं और हम सब जानते हैं की जल सृष्टि के लिए कितना महत्वपूर्ण है। 


पद्म पुराण की एक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने अपने मानस पुत्र अत्रि को सृष्टि का विस्तार करने की आज्ञा दी, महर्षि अत्रि ने तप आरम्भ किया और तप करते हुए एक दिन महर्षि के नेत्रों से जल की कुछ बूंदें गिरीं जो बहुत प्रकाशमय थीं, दिशाओं ने स्त्री रूप में आ कर पुत्र प्राप्ति की कामना से उन बूंदों को ग्रहण कर लिया जो उनके उदर में गर्भ रूप में स्थित हो गया। हालांकि दिशाएं उस प्रकाशमान गर्भ को धारण न रख सकीं और त्याग दिया।  उस त्यागे हुए गर्भ को ब्रह्मा ने पुरुष रूप दिया जो चंद्रमा के नाम से प्रख्यात हुए। ब्रह्मदेव ने चन्द्र को नक्षत्र, वनस्पतियों, मन व जल का स्वामी नियुक्त किया। स्कन्द पुराण के अनुसार, जब देवों और दैत्यों ने क्षीर सागर का मंथन किया था तो उस में से चौदह रत्न निकले थे, चंद्रमा उन्हीं चौदह रत्नों में से एक हैं जिन्हें भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। 


 ज्योतिष के अनुसार चंद्रदेव कालपुरुष की कुंडली में चौथे भाव के कारक और स्वामी हैं और इन्हें माता, मन तथा भावनाओं पर आधिपत्य प्राप्त है। चंद्रदेव वृषभ राशि में उच्च तथा वृश्चिक राशि में नीच अवस्था के माने जाते हैं, ये कर्क राशि तथा रोहिणी, हस्त तथा श्रवण आदि नक्षत्रों  के स्वामी हैं। चंद्रदेव एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जिनका कोई भी ग्रह शत्रु नहीं है, सूर्य तथा बुध इनके परम मित्र ग्रह माने जाते हैं। चंद्रदेव कुंडली में मन और माता के कारक ग्रह हैं और उच्चराशि, स्वराशि या मित्र राशि में होने पर व्यक्ति को माता की कृपा प्राप्त होती है, मानसिक स्तिथि सुद्रृढ़ होती है एवं निर्णय लेने की क्षमता बहुत अच्छी होती है। इसके विपरीत अगर चन्द्रमा पीड़ित अवस्था में हों तो मानसिक परेशानी, माता का दुःख और अत्यधिक भावुक होने जैसीं समस्याएं आती हैं। 


चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ सरल उपाय -


१) माता का आशीर्वाद लें, कभी भी उनका अपमान न करें। 

२) पूर्णिमा को रात्रि में पूर्ण चंद्र के दर्शन करें और अर्घ्य दें। 

३) चंद्र को जल का कारक भी माना गया है अतः जल की बर्बादी न करें। 

४) भगवान शिव का ध्यान करें और दूध से अभिषेक करें। 

५) किसी की भावनाओं का अपमान न करें अथवा किसी को दुखी न करें। 

६) शशिधर भगवान शिव की आराधना से भी चंद्रदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। 


नीचे दिए हुए कुछ मंत्र का जाप से भी चंद्रदेव को प्रसन्न किया जा सकता है -


१) ॐ सोम सोमाय नमः। 

२) ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:। 

३) ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:। 

४) अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोदयात्। 

५) दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम, नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं। 

६) ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय  धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्। 


ऊपर दिए गए सभी उपाय और मंत्र ऐसे तो दैनिक चर्या में उपयोग किये जा सकते हैं फिर भी किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेकर ही अपनी कुंडली के शुभाशुभ अनुसार ही इनका प्रयोग करें। ये अवश्य ध्यान रखें कि चंद्रदेव मन के कारक ग्रह हैं अतः हमेशा अपने मन को मजबूत और स्थिर रखें। 


जय चंद्रदेव, जय महादेव

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