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हिंदू धर्म में शुभ कार्यों के लिए सही समय और शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य तभी किए जाते हैं जब ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल हो। साथ ही, कुछ विशेष समय ऐसे भी होते हैं जब ये कार्य नहीं किए जाते। इन्हीं में से एक है मलमास (खरमास), जिसे शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। साल 2025 में भी एक महीने के लिए मलमास लगेगा, जिसके दौरान विवाह सहित सभी मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। आइए जानते हैं मलमास कब से शुरू होगा और इसकी धार्मिक मान्यता क्या है।
पंचांग के अनुसार, 14 मार्च 2025 से मलमास शुरू हो रहा है। यह तब होता है जब सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश करते हैं। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि सूर्य के मीन राशि में गोचर करने के दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं। यह अवधि पूरे एक महीने तक रहेगी और 14 अप्रैल 2025 को समाप्त होगी, जब सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन से पुनः विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत हो सकेगी।
मलमास को अशुभ मानने के पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएँ हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान सूर्य देव ही पृथ्वी पर जीवन के दाता हैं। उनकी ऊर्जा और प्रकाश के बिना जीवन संभव नहीं है। जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो उनका प्रभाव कमजोर हो जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी कम हो जाती है। इस कारण, इस अवधि को शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। यह भी माना जाता है कि इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं और देवगण तपस्या में लीन रहते हैं। ऐसे में कोई भी शुभ कार्य करने से उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञ, उपनयन संस्कार आदि कार्य नहीं किए जाते।
मलमास के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन इस अवधि में दान-पुण्य, जप, हवन, मंत्र साधना, और भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। भक्त इस समय को धार्मिक कार्यों और आध्यात्मिक साधना के लिए उपयोग कर सकते हैं।
14 अप्रैल 2025 को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है। इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत फिर से हो जाएगी और विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन आदि कार्य किए जा सकेंगे। मलमास हिंदू धर्म में एक विशेष अवधि होती है, जब सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। 2025 में 14 मार्च से 14 अप्रैल तक मलमास रहेगा, जिसके बाद ही शुभ कार्य किए जा सकेंगे। इस समय में भक्तों को भगवान विष्णु की पूजा, जप, तप और दान-पुण्य करने की सलाह दी जाती है।
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