दिवाली पर मां लक्ष्मी को लगाएं ये भोग

दिवाली पर मां लक्ष्मी को जरूर अर्पित करें ये भोग, घर में अन्न और धन का भरा रहेगा भंडार


दीपावली का पर्व हिंदू धर्म में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। दीपावली धन और खुशहाली का प्रतीक भी है। मान्यता है कि दीपावली की रात देवी लक्ष्मी हर घर में भ्रमण करती हैं और उन घरों में वास करती हैं जहाँ स्वच्छता, पूजा और भक्ति भाव के साथ उनका स्वागत होता है। धन-सम्पदा की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का भोग भी लगाया जाता है। यहां, ऐसे दो प्रसाद का वर्णन किया गया है, जिन्हें मां लक्ष्मी की पूजा में शामिल करना बेहद शुभ माना जाता है। 


मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय हैं बताशे


आजकल लोग त्योहारों पर देवी-देवताओं को महंगी मिठाइयां और फैंसी पकवान चढ़ाने का रिवाज अपनाते हैं। लेकिन दीपावली की पूजा में सबसे सरल और पारंपरिक प्रसाद बताशे ही माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बिना बताशों के दीपावली की पूजा अधूरी मानी जाती है।


बताशों का महत्व और धार्मिक संदर्भ


बताशे चीनी से बनाए जाते हैं और हिंदू धर्म में सफेद व मीठी चीजों को अत्यंत शुभ माना गया है। यह वस्तुएं शुक्र ग्रह से जुड़ी होती हैं जो धन और वैभव का ग्रह है। शुक्र की कृपा हो तो व्यक्ति के जीवन में धन और ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं होती। इसलिए, दीपावली में खासकर लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए बताशे चढ़ाने का विशेष महत्व है। हालांकि, बताशे केवल दीपावली ही नहीं, बल्कि भाई दूज के दिन भी देवी लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं। इसे देवी लक्ष्मी के सम्मान का प्रतीक माना जाता है और ये भी माना जाता है कि इससे माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।


माता लक्ष्मी को चढ़ाएं मखाना


मखाना एक अत्यंत पवित्र और शुभ वस्तु मानी जाती है। जो कमल के पौधे से प्राप्त होती है। धार्मिक ग्रंथों में देवी लक्ष्मी का संबंध कमल के फूल से बताया गया है, और माता को अक्सर कमल पर विराजित भी दिखाया जाता है। यह फूल पवित्रता, ज्ञान और अध्यात्म का प्रतीक है, जो जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने में सहायक होता है।


मखाने का महत्व और उपयोग


चूंकि मखाना कमल के पौधे का एक हिस्सा है, इसलिए इसे लक्ष्मी माता के प्रसाद के रूप में चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। कुछ लोग मखाने को साधारण रूप में अर्पित करते हैं। जबकि, कई भक्त मखाने की खीर बनाकर इसे मां लक्ष्मी को भोग लगाते हैं।


मखाना का जीवन में समृद्धि से नाता


मखाने का संबंध सिर्फ धार्मिक पूजा तक सीमित नहीं है। इस दिव्य फल को स्वास्थ्यवर्धक भी माना जाता है। इसे देवी लक्ष्मी को अर्पित करने से ना सिर्फ आध्यात्मिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। बल्कि, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी इसका सेवन काफी फायदेमंद साबित होती है। 


अन्य प्रसाद और पकवान


बताशे और मखाने के अलावा, मां लक्ष्मी को भोग लगाने के लिए हलवा को भी अत्यंत प्रिय माना गया है। दीपावली की पूजा में आप आटे और गुड़ से बना हलवा माता को अर्पित कर सकते हैं। आटे का हलवा विशेष रूप से शुभ माना जाता है। क्योंकि, यह शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है। गुड़ से बना हलवा मां लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर और गणेश जी को भी अर्पित किया जाता है। यह भोग माता को प्रसन्न करता है और घर में सुख-शांति और धन की वृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है।


मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व और विधि


दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा में भगवान कुबेर और गणपति जी की भी पूजा की जाती है। गणपति जी को पूजा में शामिल करने का उद्देश्य यह है कि कोई भी कार्य या पूजा बिना विघ्न के पूरी हो। वहीं भगवान कुबेर को पूजा में शामिल करने से धन के भंडार बढ़ते हैं। माना जाता है कि दीपावली की रात देवी लक्ष्मी और कुबेर दोनों अपने भक्तों के घरों में वास करते हैं और अगले पूरे वर्ष के लिए सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसलिए पूजा में सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। साथ ही प्रसाद चढ़ाने के समय भी शुद्धता और यम-नियमों का विधिपूर्वक पालन किया जाता है।


समुद्र मंथन से हुआ मां लक्ष्मी का जन्म


हिंदू पुराणों में उल्लेख है कि मां लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। मान्यता है कि यह घटना दिवाली के दिन हुई थी। इसलिए, इस दिन को देवी लक्ष्मी के विशेष रूप से पूजन का दिन माना जाता है। माना जाता है कि मां लक्ष्मी जिन घरों में प्रसन्न होकर वास करती हैं। वहाँ धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। ऐसे घरों में आर्थिक समृद्धि हमेशा बरकरार रहती है और हर तरह के संकट घर से दूर ही रहते हैं। 


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