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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले, महाकुंभ ने एक बार फिर से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इस मेले में देश-विदेश से आए साधु-संतों की भारी भीड़ ने इस पवित्र नगरी को और भी पवित्र बना दिया है। इस विशाल समागम में कई ऐसे साधु-संत हैं जो अपनी अनोखी तपस्या और जीवन शैली के कारण लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनमें से एक हैं महाकाल गिरी बाबा, जिन्होंने अपनी अद्वितीय तपस्या से सभी को चकित कर दिया है।
मध्य प्रदेश से आए महाकाल गिरी बाबा पिछले नौ वर्षों से एक अद्भुत संकल्प लेकर बैठे हैं। उन्होंने गौ रक्षा और धर्म रक्षा के लिए अपना एक हाथ ऊपर उठा रखा है और इस दौरान उन्होंने एक बार भी अपना हाथ नीचे नहीं किया है। उनकी यह तपस्या देखकर हर कोई दंग रह जाता है। बाबा का मानना है कि इस तरह की तपस्या से धर्म और समाज का कल्याण होता है।
महाकाल गिरी बाबा की यह तपस्या न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्था का प्रतीक है बल्कि यह समाज के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत है। आज के समय में जब लोग भौतिक सुखों में खोए हुए हैं, ऐसे में बाबा की तपस्या हमें धर्म और आध्यात्म की ओर लौटने का संदेश देती है।
महाकुंभ में बाबा की उपस्थिति ने इस मेले को और भी खास बना दिया है। लोग दूर-दूर से आकर बाबा के दर्शन करने आ रहे हैं और उनकी तपस्या से प्रेरित हो रहे हैं। बाबा की यह तपस्या हमें यह भी सिखाती है कि अगर हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें कड़ी मेहनत और लगन से प्रयास करना होगा।
महाकाल गिरी बाबा की यह तपस्या हमें यह भी याद दिलाती है कि हमारे धर्म और संस्कृति में तपस्या का बहुत महत्व है। हमारे पूर्वजों ने तपस्या के माध्यम से ही कई चमत्कार किए हैं। महाकाल गिरी बाबा की तपस्या हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि हम भी अपने जीवन में धर्म और आध्यात्म को महत्व दें।
आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से इन बाबा की अनोखी प्रतिज्ञा के बारे में जानते हैं।
महाकाल गिरी बाबा अपने अद्वितीय संकल्प के कारण हठयोगी बाबा के नाम से मशहूर हैं। महाकुंभ में इनकी साधना ने सभी का ध्यान खींचा है। लोग दूर-दूर से इनके दर्शन करने आ रहे हैं। ये राजस्थान के जोधपुर से हैं और पिछले दो दशक से साधु जीवन जी रहे हैं।
जब वे मात्र दस-बारह वर्ष के थे, तभी उन्होंने घर त्याग दिया और साधु-संतों के साथ रहना शुरू कर दिया। भगवान की भक्ति में लीन हो गए। पिछले नौ वर्षों से वे अपना एक हाथ ऊपर उठाए हुए हैं और ऐसा करने का संकल्प लिया है। उनके हाथ में भगवान शिव की पिंडी विराजमान है। वे कहते हैं कि यह सब भगवान की कृपा और उनकी तपस्या का फल है।
महाकाल गिरी महाराज का कहना है कि वे मानवता की भलाई के लिए तपस्या कर रहे हैं। वे सनातन धर्म की सेवा में लगे हुए हैं और उनकी तपस्या उनके अंतिम संस्कार के साथ ही पूरी होगी। बाबा ने बताया कि उन्होंने अपना हाथ ऊपर उठाया है और तब से नाखून नहीं काटे हैं। वे हर कुंभ मेले में शामिल होते हैं।
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