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हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है, जो एक महीने की अवधि के लिए अशुभ माना जाता है। इस दौरान विवाह समेत किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास की अवधि के दौरान भगवान सूर्य देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन में गोचर करते हैं और इसके बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2025 का पहला खरमास कब से शुरू होगा? और क्यों खरमास में शादी-विवाह समेत तमाम शुभ और मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं? आइए जानते हैं खरमास के महत्व और इसके नियमों के बारे में, जो हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। साथ ही जानेंगे मार्च 2025 में शादी और गृह प्रवेश के लिए कितने शुभ मुहूर्त हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों में भगवान सूर्य को जीवन के दाता के रूप में वर्णित किया गया है। उनकी रोशनी के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पूरी प्रकृति भगवान सूर्य से जुड़ी हुई है और उनका तेज जीवन को ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है।
खरमास की अवधि के दौरान भगवान सूर्य का तेज कम हो जाता है, जो धार्मिक मान्यता के अनुसार विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं है। इसके अलावा, ज्योतिषियों के अनुसार जब सूर्य देव धनु और मीन राशि में गोचर करते हैं, तो सूर्य के तेज से गुरु का प्रभाव कम हो जाता है, जिससे शुभ कार्यों की सफलता पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए खरमास के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
इसके बजाय, इस दौरान सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए, जिससे उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। सूर्य देव की पूजा करने से हमारे जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है, जो हमें आगे बढ़ने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
पंचांग के अनुसार, आत्मा के कारक सूर्य देव 14 मार्च को कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। इस दिन से खरमास की शुरुआत हो जाएगी, जो एक महीने तक चलेगा। इसका मतलब है कि 14 मार्च से शादी की शहनाइयां एक महीने तक नहीं सुनाई देंगी। इसी के साथ उपनयन, गृह प्रवेश, गाड़ी और मकान की खरीदारी समेत सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे।
इस दिन सूर्य देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। अतः 14 मार्च को मीन संक्रांति भी मनाई जाएगी। इसी दिन होली भी है। मीन संक्रांति पर पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 29 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल शाम 04 बजकर 29 मिनट से शाम 06 बजकर 29 मिनट तक है।
खरमास की समाप्ति की तिथि निर्धारित हो गई है। पंचांग के अनुसार, भगवान सूर्य 14 अप्रैल 2025 को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे खरमास की समाप्ति हो जाएगी। इस दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन आदि किए जा सकेंगे। सूर्य देव मेष राशि में 14 मई तक रहेंगे। इसके बाद वे वृषभ राशि में गोचर करेंगे।
मार्च का महीना विवाह के लिए एक आदर्श समय माना जाता है और इस बार भी यह महीना विवाह के लिए शुभ मुहूर्त लेकर आया है। 14 मार्च को खरमास लगने से पहले इस माह में विवाह के लिए पांच शुभ दिन और मुहूर्त उपलब्ध हैं।
मार्च का महीना अपने सुहावने मौसम के कारण विवाह के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है। न तो गर्मी की तपिश और न ही सर्दी की ठंड। इस समय का मौसम विवाह के आयोजन के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। इसलिए लोग मार्च में विवाह का आयोजन करना पसंद करते हैं।
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