जानिए क्या हैं माता लक्ष्मी के आठ प्रमुख स्वरूप

अष्ट लक्ष्मी : जानिए कौन से हैं माता लक्ष्मी के प्रमुख आठ अवतार, दीवाली पर करें कौनसे स्वरूप की पूजा


कार्तिक मास की अमावस्या तिथि हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीवाली के रूप में मनाई जाती है। इस दिन झिलमिलाते दीपों की ज्योति और हर्षोल्लास के साथ माता लक्ष्मी की विशेष पूजन की जाती है। मान्यता है कि दीवाली पर विष्णु प्रिया मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर माता की कृपा हमेशा बनी रहती है। सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करने वाली देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है लेकिन इसके बाद देवी ने आठ अलग स्वरूपों में अवतार लिया जो अष्ट लक्ष्मी के रूप में पूजे जाते हैं। भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको मां लक्ष्मी के 8 स्वरूप यानी अष्ट लक्ष्मी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। मां लक्ष्मी के हर स्वरूप की महिमा अलग है और यह विभिन्न कामनाओं को पूरा करने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं अष्ट लक्ष्मी के बारे में जानने की यह पवित्र यात्रा भक्त वत्सल पर….. 


1. आदि लक्ष्मी या महालक्ष्मी


यह अष्ट लक्ष्मी का सबसे पहला स्वरुप है। आदी लक्ष्मी स्वरूपा मां ही भगवान श्री हरि विष्णु की पत्नी हैं और यहीं लक्ष्मी का मूल रूप भी हैं। इनका वर्णन करते हुए भागवत पुराण में लिखा गया है कि महालक्ष्मी से ही तीनों देवता ब्रम्हा, विष्णु और महेश का प्राकट्य हुआ है। महाकाली और माता सरस्वती की उत्पत्ति भी इन्हीं के अंश से हुई है। आदी लक्ष्मी जीव जंतुओं के जीवन का आधार हैं और उपासकों के लिए मोक्ष की दायिनी हैं। लक्ष्मी का यह पहला अवतार ऋषि भृगु की बेटी के रूप में जन्मा माना जाता है। 


2. धन लक्ष्मी


मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप धन और वैभव की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। कथा है कि देवी पद्मावती से विवाह के लिए भगवान श्री हरि विष्णु के ही अवतार वेंकटेश ने कुबेर से कर्ज लिया और समय पर चुका नहीं सके। तब माता लक्ष्मी ने धन लक्ष्मी का अवतार लेकर विष्णु जी को कर्ज से मुक्त कराया। मां के हाथों में सदैव धन से भरा कलश रहता है। मां की आराधना करने वाले को कभी भी आर्थिक परेशानियां और कर्ज की बाधा नहीं आती। साथ ही माता लक्ष्मी का ये स्वरूप ही इस जगत की सारी धन-संपदा की अधिष्ठात्री देवी माना गया है।


3. धन्य लक्ष्मी या धान्य लक्ष्मी


लक्ष्मी जी का तीसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी देवी अन्नपूर्णा का अवतार है जो अन्न के भंडार भरे रखती हैं। धन्य का अर्थ ही अनाज होता है। धन्य लक्ष्मी अनाज की देवी है। इसी लिए उन्हें अन्नपूर्णा नाम से भी पूजा गया है। धन्य लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सबसे आसान तरीका है कि कभी भी अन्न की बर्बादी न करें। जिन घरों में अन्न का निरादर नहीं होता है, वहां देवी अन्नपूर्णा सदैव प्रसन्न रहतीं हैं।


4. गज लक्ष्मी


लक्ष्मी जी का चौथा स्वरूप कमल पुष्प और हाथी पर विराजित गज लक्ष्मी का है। इस स्वरूप में मैय्या के दोनों तरफ हाथी सूंड में जल भरकर लक्ष्मी का जलाभिषेक करती मुद्रा में खड़े हैं । गज लक्ष्मी कृषि की देवी है इसलिए किसान वर्ग इनकी विशेष पूजा अर्चना करता है। कृषि और उर्वरता की देवी गज लक्ष्मी ने भगवान इंद्र को सागर की गहराई से खोए धन धान्य को वापस हासिल करने में सहायता की थी। इंद्र के राज को समृद्धि प्रदान करने वाली मैय्या को राजलक्ष्मी भी कहा गया है। वर्तमान समय में लोग घर में उपस्थित सभी वाहनों को गज लक्ष्मी का स्वरूप मानकर ही पूजा करते हैं।


5. संतान लक्ष्मी


जैसा की नाम से ही स्पष्ट है यह संतान सुख प्रदान करने वाली देवी हैं। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार, लक्ष्मी जी का पांचवा स्वरूप देवी स्कंदमाता का ही एक रूप है, जिसे संतान लक्ष्मी भी कहा गया है। संतान लक्ष्मी की चार भुजाएं हैं, जिनमे से माता ने दो भुजाओं में कलश और दो भुजाओं में तलवार और ढाल धारण किया हुआ है। इनकी गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय जी बैठे हैं। संतान लक्ष्मी की पूजा करने से मैया घर के सभी लोगों की अपनी संतान की तरह रक्षा करती हैं। वहीं अगर नि:संतान लोग विधि पूर्वक संतान लक्ष्मी की पूजा करते हैं तो उनको संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी मिलता है। संतान लक्ष्मी सभी को लम्बी उम्र प्रदान करती हैं। 


6. वीरा लक्ष्मी


वीरता का प्रतीक लक्ष्मी जी का वीरा लक्ष्मी स्वरूप आठों भुजाओं में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए हैं। ये वीरों, साहसी लोगों और योद्धाओं की आराध्य देवी हैं। वीरा लक्ष्मी अकाल मृत्यु से बचातीं है। यह माता कात्यायनी का स्वरूप है जो विजय, सौभाग्य और समृद्धि देने वाली हैं।


7. विजया लक्ष्मी या जया लक्ष्मी


विजया का अर्थ होता है जीत। विजया या जया लक्ष्मी अष्ट लक्ष्मी का सातवां स्वरूप है। लाल साड़ी में कमलासन बैठी मां विजया लक्ष्मी विजय श्री का आशीर्वाद देने वाली देवी हैं। कोर्ट कचहरी, धन संपत्ति से जुड़े मामलों में विजय के लिए विजया लक्ष्मी की आराधना से विशेष लाभ प्राप्त होता है। अष्टभुजी मां विजय और अभय प्रदान करती हैं।


8. विद्या लक्ष्मी


लक्ष्मी जी का आठवां स्वरूप मां विद्या लक्ष्मी का है। श्वेत वस्त्र धारण किए मां विद्या लक्ष्मी देवी ब्रह्मचारिणी जैसे स्वरूप में है। इनकी पूजा से ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है। क्योंकि विद्या लक्ष्मी ज्ञान की देवी हैं इसलिए ज्ञान, कला और विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों के लिए माता का यह स्वरूप सरस्वती समान पूजन योग्य है।


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