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हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा मोदक के भोग के बिना अधूरी मानी जाती है। बप्पा को मोदक बेहद प्रिय है। आप कितने भी 56 भोग भगवान को भोग लगा दें, लेकिन मोदक के बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। अब ऐसे में आखिर भगवान गणेश को मोदक इतना क्यों प्रिय है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
पहली कथा - पौराणिक मान्यताओं के अनुासर, जब भगवान शिव की आंखें नींद में डूबी हुई थीं, उनके प्यारे पुत्र गणेश जी द्वारपाल की भूमिका निभा रहे थे। तभी, परशुराम जी वहां पहुंचे। गणेश जी ने, अपने कर्तव्यनिष्ठा भाव से, उन्हें रोक लिया। यह रोकना परशुराम जी को नागवार गुजरा और क्रोधित होकर उन्होंने गणेश जी से युद्ध करने का निश्चय किया।
युद्ध की आग में, परशुराम जी ने भगवान शिव द्वारा दिया गया अपना परशु उठाया और गणेश जी पर प्रहार किया। इस प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूट गया। दांत टूटने से गणेश जी को खाने में बहुत परेशानी होने लगी।
माता पार्वती ने अपने पुत्र की इस पीड़ा को देखकर एक उपाय निकाला। उन्होंने गणेश जी के लिए मुलायम और स्वादिष्ट मोदक तैयार किए। मोदक को चबाने की ज़रूरत नहीं होती थी, इसलिए गणेश जी ने इन्हें बड़े चाव से खाया। इस तरह, मोदक गणेश जी का प्रिय भोजन बन गया।
दूसरी कथा- एक बार भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र गणेश जी के साथ माता अनुसुइया के आश्रम पधारे। माता अनुसुइया ने भोलेनाथ परिवार का स्वागत पूरे आदर-सत्कार से किया। उन्होंने गणेश जी को बहुत प्यार से खाना खिलाया, लेकिन गणेश जी की भूख शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी। माता अनुसुइया ने सोचा, “शायद कुछ मीठा खिला देने से गणेश जी का पेट भर जाए।” इसी सोच के साथ उन्होंने गणेश जी को एक मोदक का टुकड़ा दिया। जैसे ही गणेश जी ने मोदक का स्वाद चखा, उनकी भूख एकदम शांत हो गई। उन्होंने जोर से डकार ली।
यह देखकर भगवान शिव भी हंस पड़े और उन्होंने भी 21 बार जोर-जोर से डकार ली। माता पार्वती ने हैरान होकर माता अनुसुइया से पूछा, “आखिर यह क्या चमत्कार है?”
माता अनुसुइया ने बताया कि यह मोदक कोई साधारण मिठाई नहीं है, बल्कि एक अद्भुत स्वादिष्ट व्यंजन है। इसी दिन से मोदक गणेश जी का प्रिय भोजन बन गया और गणेश चतुर्थी के अवसर पर उन्हें मोदक चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
गणेश जी को 21 मोदक चढ़ाने से न केवल स्वयं गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं, बल्कि सभी देवी-देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इन 21 मोदकों से समस्त देवलोक का पेट भर जाता है। इसलिए भोग में मोदक चढ़ाकर हम सभी देवताओं को प्रसन्न कर सकते हैं। शब्द 'मोद' का अर्थ है आनंद। गणेश जी सदैव मुस्कुराते रहते हैं और अपने भक्तों के जीवन में सुख-शांति लाते हैं। वे विघ्नहर्ता के नाम से भी जाने जाते हैं। भक्त गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए मोदक चढ़ाते हैं, जो आनंद का प्रतीक है।
कहते हैं कि मोदक अमृत से बना था। देवताओं ने एक बहुत ही खास मोदक माता पार्वती को दिया था। जब गणेश जी को इस मोदक के बारे में पता चला, तो वे इसे खाने के लिए बहुत उत्सुक हुए। उन्होंने माता जी से मोदक मांगा और खा लिया। तब से उन्हें मोदक बहुत पसंद हो गए।
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