पहला नागा साधु कौन था?

दुनिया का सबसे पहला नागा साधु कौन था? किसने हजारों साल पहले तैयार की नगा साधुओं की फौज


महाकुंभ में सबसे खास होता है शाही स्नान, शाही स्नान के साथ-साथ इस मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु भी होते हैं। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान किया जा चुका है, जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस पवित्र अमृत स्नान में नागा साधु सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे। 14 जनवरी को पहला अमृत स्नान किया गया जिसमें नागा शरीर पर भस्म लगाए रेत लपेटे, नाचते-गाते, डमरू बजाते शामिल हुए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्यों नागा साधु ही सबसे पहले शाही स्नान करते हैं? और दुनिया का सबसे पहला नागा साधु कौन था? आइए बताते हैं कई साल पुराना वो किस्सा... 


दुनिया का सबसे पहला नागा साधु कौन था?


नागा साधुओं का जीवन अन्य साधुओं की तुलना में बहुत कठिन होता है। नागा साधुओं को अक्सर महाकुंभ, अर्धकुंभ, या सिंहस्थ कुंभ में देखा जाता है। धर्म की रक्षा के लिए आदि शंकराचार्य नागा योद्धा द नागा वॉरियर्स तैयार किए थे। जानकारी के मुताबिक, आदि गुरु शंकराचार्य ने ऐसे साधु-सैनिकों का एक संगठन बनाया, जो साधु भी थे और सैनिक भी। इन्हें ज्ञान देना और प्राण लेना, दोनों का अभ्यास था। इन्हीं योद्धा साधुओं को उन्होंने 'नागा' नाम दिया। इसके पीछे का उद्देश्य था कि जब तक एक हाथ में शास्त्र के साथ-साथ दूसरे हाथ में शस्त्र ना हो, तब तक धर्म की रक्षा नहीं की जा सकती। 


क्यों करते हैं पहले नागा स्नान?


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब देवता और असुर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा के लिए एक-दूसरे से संघर्ष कर रहे थे, तो अमृत की 4 बूंदे कुंभ के 4 जगहों (प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक) पर गिर गई। तभी से यहां महाकुंभ मेले की शुरुआत की गई। नागा साधु भोले बाबा के अनुयायी माने जाते हैं। यही वजह है कि इस स्नान को नागा साधु सबसे पहले करने के अधिकारी माने गए। तब से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है।


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