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दिवाली के पावन पर्व पर विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। इस दिन माता रानी को कई तरह के पकवान चढ़ाए जाते हैं। लेकिन खील और बताशे के बिना भोग अधूरा माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी और गणेश पूजन में खील-बताशे क्यों चढ़ाए जाते हैं। क्या यह सिर्फ एक परंपरा है या इसके पीछे भी कोई पौराणिक कहानियां हैं। आइए इसी सवाल का जवाब इस लेख में जानते हैं…
दिवाली की पूजा में खील-बताशे चढ़ाने को लेकर कई मान्यताएं हैं। खील एक प्रकार का धान है जो कि चावल से बनता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली से पहले चावल के रूप में धान की फसल तैयार की जाती है। दीपावली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए दीपावली की पहली फसल के रूप में उन्हें भोग के तौर पर खील चढ़ाते हैं। साथ ही यह भी कहा जाता है कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजा में खील-बताशे का भोग लगाने और इसका प्रसाद बांटने से घर में धनागमन और खुशहाली बढ़ती है। साथ ही मां लक्ष्मी की आशीर्वाद प्राप्त होता है। दिवाली की पूजा सामग्री में खील बताशे का प्रसाद अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। घर-परिवार हमेशा खिली हुई धान की तरह खिलखिलाता और खुशहाल रहे। यही उद्देश्य होता है कि माता लक्ष्मी और गणेश जी को खील का भोग लगाया जाता है। इसलिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी का पूजन अक्षत के स्थान पर खील से किया जाता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी को सफेद चीजों का भोग मुख्य रूप से लगाया जाता है। इसलिए भी खील-बताशे चढ़ाए जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शुक्र ग्रह को धन और वैभव प्रदान करने वाला ग्रह माना गया है। चावल को शुक्र ग्रह का अनाज माना जाता है। मां लक्ष्मी भी धन प्रदान करने की देवी हैं। दिवाली का त्योहार समृद्धि और संपन्नता प्रदान करने वाला पर्व है। इसलिए दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में खील चढ़ाने का ज्योतिष महत्व भी माना जाता है। ऐसे में दिवाली के दिन खील और बताशे चढ़ाने से शुक्र ग्रह जीवन में शुभ परिणाम लेकर आता है। व्यक्ति को जीवन में सुख और संपदा मिलती हैं। शुक्र ग्रह कुंडली में मजबूत होते हैं जिससे घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है। पारिवारिक शांति स्थापित होती है। घर की शीघ्रता से उन्नति होती है।
दिवाली पर पूजा करने के बाद आपको खील-बताशे को पांच हिस्सों में बांटना है। पहला हिस्सा गाय, दूसरा किसी जरूरतमंद, तीसरा पक्षियों, चौथा पीपल के पेड़ के नीचे और पांचवा घर के लोगों को प्रसाद के रुप में दें।
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