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दिवाली के शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी के साथ ही भगवान गणेश जी की पूजा भी की जाती है। गणेश जी को ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है, जबकि मां लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं। उनकी संयुक्त पूजा से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है। तो चलिए जानते हैं कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती है। साथ ही जानेंगे पूजा विधि...
महापुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार मंगल के दाता श्रीगणेश, श्री की दात्री माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र हैं। एक बार माता लक्ष्मी को स्वयं पर अभिमान हो गया था। तब भगवान विष्णु ने कहा कि भले ही पूरा संसार आपकी पूजा-पाठ करता है। आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सभी व्याकुल रहते हैं, लेकिन अभी तक आप अपूर्ण हैं। भगवान विष्णु के यह कहने के बाद माता लक्ष्मी ने कहा कि ऐसा क्या है कि मैं अभी तक अपूर्ण हूं। तब भगवान विष्णु ने कहा कि जब तक कोई स्त्री मां नहीं बन पाती, तब तक वह पूर्णता प्राप्त नहीं कर पाती। आप निसंतान होने के कारण ही अपूर्ण हैं। यह जानकर माता लक्ष्मी को बहुत दुख हुआ। माता लक्ष्मी को दुखी देख माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को उनकी गोद में बैठा दिया। तभी से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र कहे जाने लगे। माता लक्ष्मी दत्तक पुत्र के रूप में श्रीगणेश को पाकर बहुत खुश हुईं। माता लक्ष्मी ने गणेश जी को वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा नहीं करेगा, लक्ष्मी उसके पास कभी नहीं रहेगी। इसलिए दिवाली पूजन में माता लक्ष्मी के साथ दत्तक पुत्र के रूप में भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय होने का वरदान प्राप्त है और उन्हें बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। साथ ही उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है जो सभी बाधाओं को हर लेते हैं। इसलिए हर शुभ कार्य या पूजा सबसे पहले गणेश जी का आह्वान किया जाता है ताकी पूजा में कोई विघ्न उत्पन्न न हो। दिवाली के दिन भी लक्ष्मी माता के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है।
इस तरह से आप दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा कर सकते हैं। भक्तवत्सल वेबसाइट पर लक्ष्मी माता की पूजा विधि भी आप विस्तार से जान सकते हैं।
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