धैर्य लक्ष्मी की महिमा

जीवन में कठिनाइयों पर काबू पाने, साहस और शक्ति पाने के लिए की जाती है धैर्य लक्ष्मी की आराधना, ये है सही पूजा विधि


धैर्य लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी में पांचवां स्थान मिला है। धैर्य लक्ष्मी की आराधना से हमें धन और जीवन प्रबंधन में मदद मिलती है। माता के इस स्वरूप की पूजा करने से हम अच्छे और बुरे समय का सामना करने की आध्यात्मिक शक्ति से परिपूर्ण हो जातें हैं और जीवन में प्रगति प्राप्त करते हैं। धैर्य लक्ष्मी जीवन में कठिनाइयों पर काबू पाने, साहस और शक्ति पाने में सहायता करती है। इसलिए इन्हें वीर लक्ष्मी या साहस लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है।


युद्ध में भी मिलती है जीत


वीर लक्ष्मी की पूजा युद्ध में विजय पाने या जीवन की कठिनाइयों को दूर करने और स्थिरता लाने के लिए की जाती है। देवी वीर लक्ष्मी की पूजा करने से भय का नाश होता है और पापों से मुक्ति मिलती है। 


धैर्य लक्ष्मी का स्वरूप 


देवी धैर्य लक्ष्मी लाल साड़ी में अपनी आठ भुजाओं में चक्र, शंख, धनुष, बाण, तलवार, ताड़ के पत्तों पर लिखे शास्त्र धारण कर भक्तों के दुःख दूर करतीं हैं। मां के अन्य दो हाथ अभय मुद्रा और वर मुद्रा में हैं।


इस विधि से करें धैर्य लक्ष्मी का पूजन 


  • धैर्य लक्ष्मी के पूजन के लिए  दीपक, फूल और सभी आवश्यक पूजन सामग्री एकत्रित करने के बाद पूजा कक्ष को साफ-सुथरा बनाएं।
  • दीपक जलाएं और पूजन सामग्री के साथ फूल अर्पित करें।
  • अब धैर्य लक्ष्मी के दिव्य स्तोत्र का पाठ करें।  



धैर्य लक्ष्मी स्तोत्र 


जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये ।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम् ।


श्री धैर्य लक्ष्मी का मूल मंत्र


 “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।” इस मंत्र के साथ धैर्य लक्ष्मी का शक्तिशाली वैदिक जप  अनुष्ठान करें।


धैर्य लक्ष्मी पूजन के लाभ 


यह पवित्र जप शत्रुओं पर विजय पाने, बाधाओं को दूर करने और नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए माता का आशीर्वाद प्रदान करता है। साथ ही यह जप धैर्य और सहनशीलता को बढ़ाता है और कठिन परिस्थितियों से लड़ने का साहस देता है। यह जप प्रतिकूल परिस्थितियों में शांत और संयमित रहते हुए विजय प्राप्ति का साधन भी है। यह जप भावनात्मक स्थिरता लाते हुए भावनात्मक संतुलन और भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह जप आत्मविश्वास और आत्म-आश्वासन में भी वृद्धि करता है। यह आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। यह जाप करने से मानसिक विकर्षण दूर होता है और ध्यान भी केंद्रित करने में मदद मिलती है। और मनुष्य में करुणा, सहानुभूति, कृतज्ञता और विनम्रता जैसे आवश्यक गुणों का विकास करता है। 


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